केंद्र सरकार ने गन्ने का एफआरपी 15 रुपये बढ़ाया है. इसे आसान भाषा में कह सकते हैं कि केंद्र सरकार ने चीनी मिलों से किसानों को मिलने वाले दाम में 15 रुपये किलो का इजाफा किया है. इसको लेकर किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि इस रेट का उन राज्यों को फायदा मिलेगा जहां राज्य सरकारें अपना रेट डिक्लेअर नहीं करती हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा की सरकारें अपना रेट डिक्लेयर करती हैं. जिस तरह से केंद्र सरकार ने रेट बढ़ाया है और रिकवरी के आधार पर उसकी एक परसेंट रिकवरी भी बढ़ाई है तो शुगर मिल वाले उसमें घपला करेंगे. इसलिए रिकवरी में मॉनिटरिंग करने की जरूरत है.
राकेश टिकैत का कहना है कि उत्तर प्रदेश की सरकार को कम से कम पंजाब के बराबर तो गन्ने का रेट देना चाहिए. यहां पर अभी तक गन्ने का रेट नहीं बढ़ा है. राकेश टिकैत ने यह भी कहा कि गन्ने का रेट बढ़ना चाहिए क्योंकि महंगाई भी बढ़ रही है और केंद्र सरकार ने जो रेट बढ़ाया है, इससे ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा जब तक स्टेट सरकार गन्ने के दाम नहीं बढ़ाएगी.
राकेश टिकैत की मानें तो इसका कुछ स्टेट को फ़ायदा हो जाएगा जहां पर स्टेट अपने रेट डिक्लेअर नहीं करते. लेकिन उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा की सरकारें अपना रेट डिक्लेयर करतीं है. जिस तरह से केंद्र सरकार ने रेट बढ़ाया है और रिकवरी के आधार पर उसकी एक परसेंट रिकवरी भी बढ़ाई है तो शुगर मिल वाले उसमें घपला करेंगे. ऐसे में रिकवरी पर मॉनिटरिंग करने की जरूरत है. इसका फ़ायदा कुछ राज्यों को होगा. उत्तर प्रदेश को कम से कम पंजाब के बराबर रेट कर देना चाहिए था.
टिकैत ने कहा, इस साल गन्ने का रेट नहीं बढ़ा. अभी 370 रुपये तक गया है जो बहुत कम रेट है. सरकार की जिम्मेदारी है खासकर बजाज, मोदी और कुछ शुगर फैक्ट्री सिंभावली वगैरह की. ये बहुत लेट भुगतान देते हैं. अब इस साल का अगले साल होगा ओर इससे अगले साल का उससे अगले साल होगा. इससे किसानों को नुकसान होता है. सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए. गन्ना किसान ने अपना गन्ना दे दिया तो भुगतान होना चाहिए. इसे लेकर लोग सरकार से मिले और चिट्ठी भी दी. धरने प्रदर्शन भी हुए, लेकिन रेट नहीं बढ़ाया. रेट नहीं बढ़ाया तो किसानों को नुकसान है. गन्ने का रेट बढ़ना चाहिए. महंगाई बढ़ रही है तो रेट बढ़ना चाहिए. यह केंद्र सरकार ने रेट बढ़ाया है जिससे बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा. जब तक राज्य सरकार गन्ने का रेट नहीं बढ़ाएगी, तब तक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
टिकैत का यह बयान ऐसे समय में आया है जब दो दिन पहले ही केंद्र सरकार ने गन्ने का एफआरपी बढ़ाने का ऐलान किया. पहले एफआरपी 340 रुपये होती थी जिसे 15 रुपये बढ़ाकर 355 रुपये किया गया है. एफआरपी का मतलब है चीनी मिल की ओर से किसानों को मिलने वाली राशि. इस रेट को केंद्र सरकार तय करता है और उस न्यूनतम राशि को चीनी मिलों को जरूर देना होता है. यानी चीनी मिलें किसानों को यह रेट देने के लिए बाध्य होती है. यह रेट चीनी की रिकवरी पर निर्भर करता है. एफआरपी के अलावा राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर गन्ने का रेट तय करती हैं. इसे देखते हुए राकेश टिकैत ने यूपी सरकार से मांग की है कि वह गन्ने का रेट बढ़ाए और उसे कम से कम पंजाब के बराबर कर दे.