पूरे देश में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. सरकार इसके लिए कई योजनाएं चला रही है. इसके लिए किसानों को आर्थिक मदद भी दी जाती है. सरकार की योजना है कि किसानों को आधुनिक खेती की तरफ मोड़ा जाए ताकि वे खेती-किसानी से कमाई कर सकें और लाभ कमा सकें. हालांकि किसानोंं से बात करें तो पता चलेगा कि उन्हें योजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिल पाता. स्कीम तो कई हैं, लेकिन उन योजनाओं का लाभ किसानों तक नहीं पहुंच पाता. कुछ ऐसी ही बात राजस्थान के किसानों की है जहां बड़े पैमाने पर ऑर्गेनिक खेती होती है. यहां के पाली जिले के सोजत के पास अनेकों किसान नींबू, अनार और सब्जी की जैविक और आधुनिक खेती करते हैं.
सोजत के किसानों ने कागजी नींबू लगाए हैं. किसानों का कहना है कि चार साल तक पौधे की देखभाल की और उससे फल लेने के बारे में सोचा. लेकिन मौसम की बेरुखी से नींबू की फसल खराब हो गई. हालत ये हो गई कि नींबू से रस नहीं निकला. इसकी वजह से किसानों को काफी नुकसान हो गया. इस भारी नुकसान की वजह से वहां के किसानों की आंखों में आंसू नजर आ रहे हैं.
नींबू की खेती करने वाले किसान खेताराम बोयल ने बताया कि चार साल मेहनत करके नींबू की खेती करने के बाद जब उसे बेचने की बारी आई तो घोर निराशा हाथ लगी. वे कहते हैं कि मंडी में नींबू बेचने गए तो दलालों ने भाव पांच से दस रुपये किलो लगाया जबकि बाजार भाव पचास से सौ रुपये किलो की दर से चल रहे हैं. जैविक नींबू का भाव तो और भी अधिक चल रहा है. यानी किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है. इस मायूसी में आकर किसान ने 80 से अधिक नींबू के पौधे उखाड़ दिए और अपने खेत के बाहर फेंक दिए. किसान का कहना है कि जल्दी ही बाकी के पौधे हटाने की भी तैयारी कर रहे हैं.
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किसान ने बताया कि पौधे में नींबू तो बड़े-बड़े हैं. लेकिन उसमें रस बहुत कम हैं. इसके अलावा अनार की खेती करने वाले किसान भी परेशान नजर आ रहे हैं. किसान ने बताया कि अब जैविक खेती इसलिए नहीं करना चाहते क्योंकि फसलों के उचित भाव नहीं मिल रहे हैं. नींबू के अलावा अनार की भी खेती की थी जिसमें बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है. वहीं किसान खेताराम बोयल ने बताया कि उनको 10 से 12 लाख रुपये का नुकसान हो गया है.
बात करें नींबू की तो उसके अनेकों फायदे हैं. छोटा सा दिखने वाला नींबू औषधीय गुणों का खजाना है. इसके रस का इस्तेमाल जायकेदार व्यंजनों से लेकर कई तरह की रिफ्रेशिंग ड्रिंक्स बनाने के लिए किया जाता है. भले ही नींबू स्वाद में खट्टा हो, लेकिन नींबू के फायदे कई हैं. इसलिए कोरोना काल में नींबू का क्रेज लोगों में खूब तेजी से बढ़ा था. तब किसानों को भी उनके उपज का बेहतर दाम मिल रहा था. लेकिन अभी इस दाम में भारी गिरावट देखी जा रही है. इस गिरावट का नुकसान राजस्थान के किसान भी उठा रहे हैं.