बरसात के दिनों में मारवाड़ की सबसे सस्ती हरी सब्जी कंकेड़ा बाजार में लोगों की पहली पसंद बन चुकी है. जहां हरी सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं वहीं कंकेड़ा लोगों की पहली पसंद बन चुका है. गरीब व मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए हरी सब्जियां खरीदना मुश्किल हो गया है. इस बीच खेतों की मेड़ों, सड़कों आदि पर लगाई जाने वाली मारवाड़ की देशी सब्जी कांकेड़ा ने उन्हें राहत पहुंचाई है. वे बिना कोई कीमत चुकाए पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक सब्जियों से बने भोजन का स्वाद ले रहे हैं. कंटोला, जिसे आम बोलचाल की भाषा में कंकेड़ा, ककोरा या मीठा करेला भी कहा जाता है.
यह मारवाड़ की सबसे शुद्ध और गुणकारी सब्जी मानी जाती है. कंकेड़ा वाली सब्जी की मांग प्रदेश में भी है. बुजुर्गों का मानना है कि कंकेड़ा सिर्फ एक सब्जी नहीं है, यह अपने आप में औषधि और पोषक तत्वों का मिश्रण है. इसकी जड़, बेल, पत्तियां और फल सभी स्वास्थ्य के लिए उपयोगी हैं.
ये कंकेड़ा बरसात के समय सिर्फ एक महीने के लिए ही उगता है. देश के प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि जैविक और स्वयं उगने वाली हरी सब्जी फल महज एक कंकड़ है. यह बेल के रूप में रवेत की मेड़ों पर ही उगती है, इसे बेल को ऊंचा उठाकर रखा जाता है. कई बार इसके पौधों में सांप भी पाए जाते हैं इसलिए इसमें बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है. ये कंकेड़ा डायबीटीज, ब्लड प्रेसर, जहर, हायर, स्कीन रोग, पाइल्स आदि रोग और पेट की अनेकों बीमारियों का इलाज होता हैं.
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कंटोला की सब्जी में कई तरह के पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जिसके कारण इसे अधिक फायदेमंद सब्जी कहा जाता है. कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, फाइबर, सोडियम, मैग्नीशियम, तांबा, पोटेशियम, जिंक आदि पोषक तत्वों के अलावा, मल्टीविटामिन जैसे:- विटामिन ए, विटामिन बी1, बी2, बी3, बी5, बी6, बी9, बी12, विटामिन सी, विटामिन डी2 इसमें विटामिन डी3, विटामिन एच और विटामिन के पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं. जिसके कारण इसके सेवन से शरीर को ताकत मिलती है और अधिक ताकत भी मिलती है. खीरा गर्म तासीर वाली सब्जी है.
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