Maize variety: सिर्फ 87 दिन में 86 क्विंटल पैदावार देगी मक्के की ये किस्म, जान‍िए इसकी खास बातें

Maize variety: सिर्फ 87 दिन में 86 क्विंटल पैदावार देगी मक्के की ये किस्म, जान‍िए इसकी खास बातें

बंपर उत्पादन के ल‍िए इस्तेमाल कर सकते हैं पूसा एचएम-4 इम्प्रूवड वैराइटी का मक्का. तीन महीने से कम समय में हो जाएगी तैयार. इसमें सामान्य मक्का के मुकाबले ज्यादा है मानव शरीर के ल‍िए जरूरी लाइसिन और ट्रिप्टोफैन. जान‍िए क‍िन राज्यों के ल‍िए नोट‍िफाई की गई है यह क‍िस्म.  

कमाल की है पूसा एचएम-4 इम्प्रूवड वैराइटी (Photo-ICAR).कमाल की है पूसा एचएम-4 इम्प्रूवड वैराइटी (Photo-ICAR).
सर‍िता शर्मा
  • Delhi,
  • Jul 27, 2023,
  • Updated Jul 27, 2023, 2:36 PM IST

मक्का को विश्व में खाद्यान्न फसलों की रानी कहा जाता है, क्योंकि इसकी उत्पादन क्षमता खाद्यान्न फसलों में सबसे अधिक है. पहले मक्का को विशेष रूप से गरीबों का मुख्य भोजन माना जाता था, जबकि अब ऐसा नहीं है. देश में पैदा होने वाला आधा मक्का पशु आहार के रूप में इस्तेमाल होता है, जबकि उत्पादन का 25 फीसदी इंसान इस्तेमाल कर रहे हैं. क्योंकि यह पौष्टिक गुणों से भरपूर है. अभी इसकी बुवाई का सही समय है, लेकिन अच्छी पैदावार और गुण के लिए अच्छी किस्म का चयन भी बहुत जरूरी है. ऐसी ही एक किस्म है पूसा एचएम-4 इम्प्रूवड. इसकी खास बात यह है क‍ि यह सिर्फ 87 दिन में तैयार हो जाएगी और प्रत‍ि हेक्टेयर अध‍िकतम 86 क्विंटल तक पैदावार दे सकती है. हालांक‍ि, औसत उपज 64 क्व‍िंटल प्रत‍ि हेक्टेयर है.  

पूसा की इस वैराइटी में एक और खास बात है क‍ि इसमें मक्के की अन्य क‍िस्मों के मुकाबले लाइसिन और ट्रिप्टोफैन ज्यादा है. सामान्य मक्का में 1.5-2.0 फीसदी तक लाइसिन और 0.3-0.4 परसेंट तक ट्रिप्टोफैन होता है. जबक‍ि पूसा एचएम-4 इम्प्रूवड में लाइसिन 3.62 प्रत‍िशत और ट्रिप्टोफैन की मात्रा 0.91 फीसदी है. ट्रिप्टोफैन और लाइस‍िन आवश्यक अमीनो एसिड हैं. मानव शरीर प्रोटीन निर्माण के लिए अमीनो एसिड का इस्तेमाल करता है. इसकी मौजूदगी वयस्कों में नाइट्रोजन संतुलन और शिशुओं में नाइट्रोजन वृद्धि का काम करती है. लाइसि‍न एक स्वस्थ इम्यून सिस्टम के ल‍िए नौ जरूरी अमीनो एसिड में से एक है.

क‍िन क्षेत्रों के ल‍िए है यह क‍िस्म 

यह क‍िस्म उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के ल‍िए है. पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के ल‍िए इसे नोट‍िफाई क‍िया गया है. इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मक्का की खेती होती है. मक्का की खेती हरे भुट्टों के लिए मुख्य रूप से की जाती है. आजकल मक्का की विभिन्न प्रजातियों को अलग-अलग तरह से उपयोग में लाया जाता है. मक्का को पॉपकॉर्न, स्वीटकॉर्न, एवं बेबीकॉर्न के रूप में पहचान मिल चुकी है. कृष‍ि वैज्ञान‍िकों का कहना है क‍ि मक्का एक ऐसी फसल है जो न सूखा सहन कर सकती है न अध‍िक पानी. इसल‍िए इसकी खेती करें तो पानी न‍िकासी का इंतजाम जरूर कर लें. 

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खरीफ सीजन की फसल 

पूसा के कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने बताया क‍ि भारत में लगभग 75 फीसदी मक्का की खेती खरीफ के मौसम में होती है. विश्व के कुल मक्का उत्पादन में भारत का योगदान स‍िर्फ 3 फीसदी है. अमेरिका, चीन, ब्राजील, एवं मैक्सिको के बाद भारत बड़ा मक्का उत्पादक है. सभी खाद्यान्न फसलों की तरह मक्का भी देश के लगभग सभी क्षेत्रों में उगाया जाता है. राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर तथा उत्तर पूर्वी राज्यों में मक्का मुख्य तौर पर उगाया जाता है. अब भारत में मक्के से इथेनॉल भी बड़े पैमाने पर बनाने की तैयारी है.

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