किसानों की समस्याओं के बारे में जितना कहा जाए उतना कम है. शायद यही वजह है कि अब कुछ लोग इससे भागते नजर आ रहे हैं. कभी मौसम की मार तो कभी कीटों का प्रकोप फसलों पर मंडराता रहता है. ऐसे में सही तरीके से खेती-बाड़ी कर मुनाफा कमा पाना अपने आप में किसी चुनौती से कम नहीं है. वहीं बिहार की बात की जाए तो यहां कोसी नदी का कहर सबसे अधिक रहता है. जिस वजह से बिहार का निचला इलाका आय दिन बाढ़ग्रस्त रहता है. बाढ़ग्रस्त क्षेत्र होने के चलते बिहार के सीमांचल में खेती-किसानी करना काफी मुश्किल है. यहां साल के 6 महीने खेतों में पानी लगा होता है जिस वजह से यहां खेती कर पाना चुनौतीपूर्ण है. वहीं, सिर्फ 6 महीने ही खेती करने का समय मिल पाता है. ऐसे में बिहार के सीमांचल क्षेत्र में आने वाले बायसी में केवल एक ही खेती का सीजन होता है, इसी खेती के सहारे किसान किसी तरह अपना और अपने परिवार का गुजारा चलाते हैं.
पूर्णिया जिले की बात करें तो यहां की मिट्टी बालुवाई होती है. जिस वजह से पारंपरिक खेती करना यहां काफी मुश्किल है. ऐसे में यहां रह रहे किसानों की मदद करने के लिए एग्रीकल्चर कॉलेज के प्रोफेसर ने किसानों को बलुआही मिट्टी होने के कारण तरबूज की खेती करने का सुझाव दिया. प्रोफेसर की बात मानकर यहां के किसानों ने तरबूज की खेती करने लगे. जिस वजह से आज उन्हें बहुत अच्छा मुनाफा मिल रहा है.
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जहां इस क्षेत्र के किसान बाढ़ की मार से ग्रसित रहते हैं, वहीं तरबूज की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. तरबूज की खेती करने वाले बायसी के डंगरा पुल के नीचे खेती कर रहे किसान मोहन ने बताया कि नदी का जलस्तर बढ़ जाने के कारण हम लोगों के खेत में 6 महीने जलजमाव रहता है. जिस वजह से किसी भी फसल की खेती कर पाना संभव नहीं है. वहीं साल के बचे छह महीने में खेत के सूखे रहने पर हम लोग तरबूज की खेती करते हैं. हमारा खेत बालूवाही मिट्टी का है इसलिए यहां तरबूज की खेती अच्छे से होती है.
यहां का तरबूज पूर्णिया जिले सहित पड़ोसी जिलों और पश्चिम बंगाल जैसे पड़ोसी राज्यों में जाता है. तरबूज की खेती के साथ-साथ खीरे की भी खेती की जा रही है. अब दोनों का सीजन खत्म हो रहा है, अगले साल खीरे की खेती करने के लिए कुछ खीरे को सारस नामक रासायनिक खाद देकर उगाया जाता है, ताकि इसके बीज निकाले जा सकें. इस बीज से अगले मौसम में खेती करें. हालांकि वे कुछ बीज भी खरीदते हैं. यहां रहने वाले किसानों ने बताया कि तरबूज की खेती ही आजीविका का एक मात्र साधन है. यहां के खेतों में सिर्फ एक ही फसल अच्छी होती है, वो है तरबूज.