पंजाब की कृष‍ि नीत‍ि में खेती के जर‍िए पानी बचाने पर फोकस, एमएसपी गारंटी का भी प्रस्ताव

पंजाब की कृष‍ि नीत‍ि में खेती के जर‍िए पानी बचाने पर फोकस, एमएसपी गारंटी का भी प्रस्ताव

इस ड्राफ्ट पॉल‍िसी को कुछ क‍िसान संगठनों के साथ साझा क‍िया गया है. पंजाब में जल संकट बढ़ने के पीछे धान पर एमएसपी की अघोष‍ित गारंटी और मुफ्त ब‍िजली को भी ज‍िम्मेदार बताया जाता है. ऐसे में चरणबद्ध तरीके से सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली को लागू करके बिजली सब्सिडी को 30-35 प्रतिशत तक कम करने का सुझाव द‍िया गया है.

धान की खेती ने पंजाब में बढ़ाया जल संकट. धान की खेती ने पंजाब में बढ़ाया जल संकट.
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Sep 17, 2024,
  • Updated Sep 17, 2024, 4:20 PM IST

जल संकट से जूझ रहे पंजाब में धान की उन क‍िस्मों की खेती पर रोक लग सकती है ज‍िनमें पानी की ज्यादा खपत होती है. वजह यह है क‍ि धान की खेती की वजह से यहां पर पानी पाताल में चला गया है. कृष‍ि व‍िभाग पंजाब की एक र‍िपोर्ट बताती है क‍ि वर्ष 1960-61 के दौरान राज्य में स‍िर्फ 4.8 फीसदी कृष‍ि क्षेत्र में ही धान की खेती होती थी, जो 2020-21 तक 40.2 फीसदी तक हो गई. इसकी वजह से पानी पाताल में चला गया है और यहां पर जल आपातकाल जैसी स्थ‍ित‍ि आ गई है. पंजाब की कृषि पॉल‍िसी के ड्राफ्ट में पानी बचाने पर फोकस क‍िया गया है. ज‍िसके तहत अत्यधिक सूखे वाले क्षेत्रों में धान की खेती पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की गई है. साथ ही पंजाब सरकार द्वारा अपनी बीमा योजना लाने तथा सभी फसलों के लिए एमएसपी को कानूनी गारंटी बनाने की बात कही गई है.

इस ड्राफ्ट पॉल‍िसी को कुछ क‍िसान संगठनों के साथ साझा क‍िया गया है. पंजाब में जल संकट बढ़ने के पीछे धान पर एमएसपी की अघोष‍ित गारंटी और मुफ्त ब‍िजली को भी ज‍िम्मेदार बताया जाता है. ऐसे में चरणबद्ध तरीके से सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली को लागू करके बिजली सब्सिडी को 30-35 प्रतिशत तक कम करने का सुझाव द‍िया गया है. कृषि पंपसेटों को सौर ऊर्जा से जोड़ने और भूजल निकासी के बजाय सिंचाई के लिए नहर के पानी का उपयोग करने पर बल द‍िया गया है.

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मक्का की खेती पर फोकस का सुझाव

कृष‍ि की ड्राफ्ट पॉल‍िसी में कहा गया है कि पंजाब में जल संकट जैसी स्थिति को देखते हुए सरकार को राज्य की कुल जल मांग (66.12 बीसीएम) का कम से कम 30 प्रतिशत (20 बीसीएम) बचाने का नीतिगत लक्ष्य तय करना चाहिए. जिन ब्लॉकों में धान की खेती पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की गई है, उनमें कपास, मक्का, गन्ना और सब्जियों की खेती पर फोकस करने का सुझाव द‍िया गया है ताकि जमीन को बंजर होने से बचाया जा सके.  

क्रॉप डायवर्स‍िफ‍िकेशन की जरूरत 

पानी के ल‍िहाज से डार्क जोन वाले ब्लॉकों के किसानों को इस तरह से मुआवजा दिया जाना चाहिए कि वे धान की खेती की तुलना में वैकल्पिक फसलों से अधिक लाभ प्राप्त कर सकें. पॉल‍िसी में क्रॉप डायवर्स‍िफ‍िकेशन को शुरू करने की सिफारिश की गई है. साथ ही पानी की अधिक खपत करने वाले धान के विकल्प के रूप में कपास, बासमती, दलहन, तिलहन, गन्ना और आलू, मटर, टमाटर, नाशपाती, मिर्च और नींबू जैसी बागवानी फसलों की सिफारिश की गई है.  

क‍िसने तैयार की पॉल‍िसी  

पंजाब की एग्रीकल्चर पॉल‍िसी को अर्थशास्त्री सुखपाल सिंह की अध्यक्षता वाली कृषि नीति निर्माण समिति द्वारा तैयार क‍िया गया है. वो पंजाब किसान और खेत मजदूर आयोग के अध्यक्ष भी हैं. पॉल‍िसी के अनुसार सूबे में धान की जगह वैकल्पिक फसलों के लिए 13 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने का भी प्रस्ताव है. इसमें इन वैकल्प‍िक फसलों को उनके प्राकृतिक क्षेत्रों में उगाने की सिफारिश की गई है. इन फसलों को उगाने के लिए प्रगतिशील किसान समूहों की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है. दरअसल, धान की खेती का रकबा अगर कम करवाना है तो ऐसे क‍िसानों को जोड़ना होगा जो प्रगत‍िशील और प्रभावशाली हैं. 

सही दाम द‍िलाने का प्रस्ताव 

फसल कटाई के बाद अगर इन वैकल्प‍िक फसलों की बाजार में कम कीमत म‍िलती है तो ऐसी स्थिति में बाजार में हस्तक्षेप के लिए एक मूल्य स्थिरीकरण कोष भी अलग बनाने का प्रस्ताव द‍िया गया है. ज‍िससे क‍िसानों के घाटे की भरपाई की जा सके. राज्य में किसानों और खेत मजदूरों की आत्महत्या होने पर उनके परिवारों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने की सिफारिश की गई है. ऋण माफी की भी सिफारिश की गई है. ड्राफ्ट पॉल‍िसी में पंजाब को बीज हब बनाने, कृषि विपणन अनुसंधान संस्थान की स्थापना करने तथा सहकारी क्षेत्र को मजबूत करने की बात कही गई है. जैविक खेती पर जोर दिया गया है.

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