
देश में इस साल दलहन के उत्पादन में बढ़ोतरी की उम्मीद है. दरअसल, उपभोक्ता मामलों के विभाग के अधिकारियों ने कहा कि पर्याप्त बफर स्टॉक, अच्छी बुवाई और फसल उत्पादन की अच्छी संभावनाओं की वजह से आने वाले महीनों में दालों की कीमतें स्थिर रहने की संभावना है. एक अधिकारी ने बताया कि आने वाले महीनों में दालों की कीमतों में बढ़ोतरी की हमें कोई आशंका नहीं है, क्योंकि रबी की बुवाई का क्षेत्र पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है. साथ ही मौसम की स्थिति भी अनुकूल है, जबकि हमारे पास दालों का लगभग 2 लाख टन का बफर स्टॉक है.
इस सीजन में चना, मसूर और उड़द सहित रबी दालों की बुवाई में पिछले वर्ष की तुलना में 14.5 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो 13.4 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है. अधिकारियों ने कहा कि खरीफ की फसल की पर्याप्त कटाई और आयात के बाद निजी भंडार पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने के कारण आपूर्ति की स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, साथ ही उन्होंने आने वाले महीनों में कीमतों में उछाल की किसी भी संभावना से इनकार किया.
अगस्त 2024 में दालों के रेट में सबसे बड़ी वृद्धि दर्ज की गई थी. जो फरवरी 2025 से निगेटिव में है. यानी दालों के रेट 2024 अगस्त से गिरने शुरू हुए जो अभी तक कम बने हुए हैं. सरकार ने देश में दालों की आपूर्ति दुरुस्त रखने के लिए कई देशों से आयात किया है, जिससे मार्केट में इसकी उपलब्धता अच्छी बनी हुई है. सरकार ने म्यांमार, मोजाम्बिक और मलावी से शुल्क मुक्त दालों के आयात के लिए समझौता ज्ञापनों (एमओयू) को अप्रैल 2026 से अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ाने का फैसला किया है.
मौजूदा समझौते के तहत, भारत प्रतिवर्ष मोज़ाम्बिक, म्यांमार और मलावी से क्रमशः 0.2 लाख टन, 0.1 लाख टन और 50,000 टन अरहर दाल आयात करता है. इसके अतिरिक्त, भारत म्यांमार से प्रतिवर्ष 0.25 लाख टन उड़द आयात करने के लिए प्रतिबद्ध है. बता दें कि भारत ने 2016 में मोज़ाम्बिक के साथ पांच वर्षों के लिए प्रतिवर्ष 0.2 लाख टन अरहर के आयात के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे, जब तुअर की खुदरा कीमतें बढ़कर 200 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई थीं. इस समझौता ज्ञापन को सितंबर 2021 में और पांच वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया था.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि आय और जीवन स्तर में वृद्धि के साथ, उपभोग में भी वृद्धि हुई है. हालांकि, घरेलू उत्पादन मांग के अनुरूप नहीं हो पाया है. आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के छह वर्षीय मिशन के तहत, सरकार ने 2024-25 में 25.68 लाख टन से बढ़ाकर 2030-31 फसल वर्ष (जुलाई-जून) तक 35 लाख टन तक दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए 11,440 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं.