जायद में दाल और धान बुवाई का रकबा बढ़ा, मोटे अनाजों में भी बड़ी छलांग

जायद में दाल और धान बुवाई का रकबा बढ़ा, मोटे अनाजों में भी बड़ी छलांग

ग्रीष्मकालीन फसलों (जायद फसलों) की बुवाई इस सीजन में 71.34 लाख हेक्टेयर के सामान्य क्षेत्र का आधा कवर कर चुकी है. जायद की फसलें खरीफ की बुवाई से पहले और रबी की कटाई के बाद उगाई जाती हैं. इस समय खेतों में फसलों की बुवाई तेज़ी से हो रही है, जिससे कृषि क्षेत्र में उम्मीदों को बल मिल रहा है.

जायद फसलों का बढ़ा रकबाजायद फसलों का बढ़ा रकबा
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Mar 12, 2025,
  • Updated Mar 12, 2025, 12:20 PM IST

इस साल ग्रीष्मकालीन (जायद) फसलों की बुवाई में एक बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली है. 7 मार्च तक, ग्रीष्मकालीन फसलों की बुवाई 37.54 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई, जो पिछले साल की तुलना में 21.1 प्रतिशत ज्यादा है. कई राज्यों में पानी के स्तर में कमी आई है, लेकिन इसके बावजूद जायद सीजन की बुवाई अच्छे तरीके से चल रही है. खासकर धान, मक्का और बाजरा जैसी फसलों का रकबा पिछले साल के मुकाबले अधिक है. हालांकि मूंगफली और कुछ तिलहनों में थोड़ी कमी देखी गई है.

सामान्य क्षेत्र का 50 फीसद कवर हुआ

ग्रीष्मकालीन फसलों की बुवाई इस सीजन में 71.34 लाख हेक्टेयर के सामान्य क्षेत्र का आधा कवर कर चुकी है. जायद की फसलें खरीफ की बुवाई से पहले और रबी की कटाई के बाद उगाई जाती हैं. इस समय खेतों में फसलों की बुवाई तेजी से हो रही है, जिससे कृषि क्षेत्र में उम्मीदों को बल मिल रहा है.

मोटे अनाज की बुवाई में बढ़त

कृषि मंत्रालय की ओर से जारी साप्ताहिक अपडेट के अनुसार, धान की बुवाई 11.5 प्रतिशत बढ़कर 27.13 लाख हेक्टेयर हो गई है. इसके अलावा, पोषक अनाजों की बुवाई में भी 45 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है. पिछले साल के 1.99 लाख हेक्टेयर की तुलना में अब यह क्षेत्र बढ़कर 2.88 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है. मक्का, ज्वार और बाजरा जैसी फसलों का रकबा भी बढ़ा है. मक्का का क्षेत्र 28.3 प्रतिशत बढ़कर 1.97 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि ज्वार और बाजरा की बुवाई में भी सुधार हुआ है.

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जायद दालों का रकबा दोगुना

ग्रीष्मकालीन दालों का रकबा इस बार दोगुना होकर 5.02 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है. मूंग और उड़द की बुवाई में बढ़ोतरी इसके मुख्य कारण रहे हैं. मूंग की बुवाई 168 प्रतिशत बढ़कर 3.58 लाख हेक्टेयर हो गई है, जबकि उड़द की बुवाई भी 106 प्रतिशत बढ़कर 1.3 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है. ये दालें मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, बिहार, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में बोई जाती हैं.

तिलहन की बुवाई में कमी

हालांकि तिलहन की बुवाई में 4.7 प्रतिशत की कमी आई है और यह 2.51 लाख हेक्टेयर तक सीमित रह गई है. मूंगफली और सूरजमुखी जैसे तिलहनों की बुवाई पिछले साल की तुलना में कम हुई है, जबकि अन्य तिलहनों में भी गिरावट देखी गई है.

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प्री-मॉनसून सीजन में बारिश की कमी

1 मार्च से 11 मार्च तक, प्री-मॉनसून सीजन में भारत भर में कुल बारिश सामान्य से 38 प्रतिशत कम रही है. उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में वर्षा में 12 प्रतिशत की कमी देखी गई है, जबकि मध्य भारत में अब तक कोई बारिश नहीं हुई है. यह स्थिति कृषि क्षेत्र के लिए एक चिंता का कारण बन सकती है, क्योंकि बारिश के अभाव में पानी की कमी हो सकती है.

इस साल ग्रीष्मकालीन फसलों की बुवाई में अधिक वृद्धि देखी जा रही है, और किसानों की मेहनत की वजह से फसलें अच्छे तरीके से उगाई जा रही हैं. हालांकि, कम बारिश और पानी के स्तर में कमी कुछ चुनौतियां पेश कर सकती हैं. बावजूद इसके, यह कृषि क्षेत्र के लिए सकारात्मक संकेत हैं, और यदि मॉनसून समय पर और सही मात्रा में आता है, तो आने वाला कृषि सीजन तगड़ा उत्पादन दे सकता है.

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