भारत में आलू की खेती बहुतायत में की जाती है. हमारे देश में चावल, गेहूं, गन्ना के बाद क्षेत्रफल में आलू का चौथा स्थान माना जाता है. यह एक ऐसी फसल है, जिससे अन्य फसलों की अपेक्षा अधिक उत्पादन मिलता है. आलू की खेती किसानों के लिए अतिरिक्त आय का एक बेहतरीन जरिया है. आलू अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसको सही समय पर खेती और अच्छी किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी है, इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
आलू की खेती उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल,बिहार,मध्य प्रदेश, हरियाणा और पंजाब इन राज्यों में सबसे ज्यादा की जाती है. किसानों को खेती में फायदा हो इसलिए आलू की कई किस्में विकसित की गई हैं जिसकी खेती से किसान लाभ ले सकते हैं. इसकी खेती सितंबर और अक्टूबर का महिना में जाती है. खरीफ सीजन चालू है ऐसे में किसान की आलू की उन्नत किस्मों का चयन कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों ले सकते हैं.
यह वेरायटी भारत के उत्तर प्रदेश, हरियाणा एवं छत्तीसगढ़ प्रदेशों में पैदावार की जाती है. इस किस्म से 450 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार होती है. आलू की यह किस्म की खेती पहाड़ों एवं गंगा तट के किनारे पाए जाने वाले मैदानी क्षेत्र में अच्छी होती है.
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आलू की यह किस्म से फसल को मात्र 90 से 100 दिन में ही तैयार हो जाती है. यह किस्म अगेती झुलसा के लिए मध्यम अवरोधी भी है.
आलू की यह किस्म फसल को 120 से 125 दिनों में तैयार कर देती है.इस किस्म से आलू की प्रति हेक्टेयर 300 से 400 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है.
आलू की इस किस्म से 350 – 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार होती है. आलू की यह किस्म 80– 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है. वहीं आलू की यह किस्म अन्य किस्मों के मुकाबले अच्छा पैदावार देती है.
आलू की इस किस्म से किसान भाई 300 – 350 क्विंटल पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. इस किस्म की खेती भारत के उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार राज्य में की जाती है. इस किस्म की सबस बड़ी खासियत यह है कि इस किस्म का लम्बे समय तक भंडारण कर सकते हैं.
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