आलू की बंपर पैदावार पर किसानों की गुहार... सप्लाई पर लगा बैन हटाओ सरकार, MSP भी दो

आलू की बंपर पैदावार पर किसानों की गुहार... सप्लाई पर लगा बैन हटाओ सरकार, MSP भी दो

बंगाल में हुगली के एक किसान ने कहा, "इस साल पैदावार ज़्यादा होगी. लेकिन अगर सरकार इस बार निर्यात के बारे में नहीं सोचती है, तो किसान लागत भी नहीं निकाल पाएंगे. आलू 3 रुपये किलो बिक रहा है जो कीटनाशकों और उर्वरकों की लागत वसूलने के लिए अपर्याप्त है. अगर हालात ऐसे ही रहे तो हम सब दांव पर लग जाएंगे."

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Feb 20, 2025,
  • Updated Feb 20, 2025, 8:07 PM IST

पश्चिम बंगाल में इस सीजन में आलू की बंपर पैदावार किसानों के लिए चिंता का सबब बन गई है, क्योंकि उन्हें डर है कि अगर सरकार अन्य राज्यों को इसकी सप्लाई न करने की अपनी पॉलिसी पर कायम रही, तो उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है. इससे कीमतों में भारी गिरावट आ सकती है.

कृषि विभाग के अनुसार हुगली में आलू की खेती बड़े पैमाने पर की गई है, जिससे बंपर पैदावार की उम्मीद है. आलू व्यापारियों को डर है कि अगर सरकार इस साल कोई पॉलिसी नहीं बनाती है तो इससे किसानों को परेशानी हो सकती है.

'ETV Bharat' की एक रिपोर्ट में कहा गया है हुगली, बर्धमान, दक्षिण 24 परगना और उत्तर बंगाल के कुछ जिलों में राज्य में आलू का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है. दूसरी ओर बिहार, ओडिशा, असम जैसे राज्य और बांग्लादेश पश्चिम बंगाल से आयात पर निर्भर हैं. अगर राज्य सरकार इस मामले को गंभीरता से नहीं लेती है तो आलू को लेकर अफरा-तफरी मचने की संभावना है.

एक बीघा में 70 बोरी आलू

कृषि मंत्री बेचाराम मन्ना ने कहा, "आलू की पैदावार जलवायु परिस्थितियों पर निर्भर करती है. पूरे मामले पर नजर रखी जा रही है और उसके अनुसार ही निर्णय लिए जाएंगे." पिछले साल हुगली में 44,000 हेक्टेयर में आलू बोया गया था, लेकिन विपरीत जलवायु के कारण पैदावार प्रभावित हुई और पैदावार 27 टन प्रति हेक्टेयर रही. इस साल खेती का रकबा 92,000 हेक्टेयर है और उम्मीद है कि एक बीघा में 70 बोरी आलू की पैदावार होगी.

हुगली के कृषि उपनिदेशक मृयुंजय मर्दाना ने कहा, "इस साल पिछले साल की तुलना में खेती का रकबा काफी बढ़ गया है और कीटों के हमले का कोई मामला सामने नहीं आया है. लेकिन कुछ मामलों में, तना सड़न की समस्या देखी गई है और किसानों को इसके इलाज की सलाह दी गई है. इस साल पैदावार अधिक होने की उम्मीद है."

बंगाल में इस बार बंपर पैदावार

बटाईदार किसान असित बाग ने कहा, "इस साल पैदावार ज़्यादा होगी. लेकिन अगर सरकार इस बार निर्यात के बारे में नहीं सोचती है, तो किसान लागत भी नहीं निकाल पाएंगे. आलू 3 रुपये किलो बिक रहा है जो कीटनाशकों और उर्वरकों की लागत वसूलने के लिए अपर्याप्त है. अगर हालात ऐसे ही रहे तो हम सब दांव पर लग जाएंगे."

एक अन्य बटाईदार किसान बबलू पंडित ने कहा, "अच्छी उपज के बावजूद हमें सही दाम नहीं मिल रहा है. हमें उम्मीद थी कि एक बीघा में 70 बोरी आलू पैदा होंगे, जिसके लिए हमने प्रति बीघा 23,000 रुपये का खर्च किया है. हममें से अधिकांश बटाईदार हैं और हमें जो भी मिलता है, उसमें से जमीन के मालिक को हिस्सा देना होता है."

बंगाल सरकार से किसानों की मांग

कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के उप सचिव शुभजीत साहा ने कहा, "किसानों को कम कीमत मिलने के पीछे एक कारण यह भी है कि राज्य सरकार ने दाम को कम रखने के लिए आलू की दूसरे राज्यों में सप्लाई पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे कोल्ड स्टोरेज में बहुत अधिक स्टॉक हो गया है. मेदिनीपुर में अभी भी करीब दो लाख टन आलू पड़ा हुआ है. इस कारण नए आलू को सही दाम नहीं मिल पा रहा है."

उन्होंने कहा, "फिलहाल कीमतें 7 रुपये प्रति किलो हैं, जो पिछले साल की तुलना में काफी कम है. अब 50 किलो या एक बोरी आलू 320 रुपये में बिक रहा है और दुकानों पर एक किलो आलू 12 से 16 रुपये के बीच बिक रहा है. कीमतों पर विचार करने के लिए एक सरकारी टास्क फोर्स गठित करने की जरूरत है, क्योंकि किसानों को बाजार भाव से काफी कम कीमत मिल रही है."

आलू व्यापारी संघ के महासचिव लालू मुखोपाध्याय ने कहा, "इस साल करीब आठ मीट्रिक टन अतिरिक्त पैदावार होने की उम्मीद है. लेकिन कीमतें अधिक नहीं होंगी. इस साल सरकार को आलू के स्टॉक और व्यापार पर नीति बनानी चाहिए और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर विचार करना चाहिए."

 

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