देश में दलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वैज्ञानिकों द्वारा विकसित मूंग दाल की दो नई किस्में जारी की है. कहा जा रहा है कि इन किस्मों की खेती करने से देश में दलहन की पैदावार बढ़ जाएगी. इससे दाल की बढ़ती कीमत पर ब्रेक लगाया जा सकता है. सबसे बड़ी बात यह है कि दलहन का उत्पादन बढ़ने से देश आत्मनिर्भर बनेगा और आयात में भी गिरावट आएगी.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने जिन दो किस्मों को जारी किया है, उनके नाम मूंग पीएमएस-8 और मूंग लैम पेसरा 610 एलजीजी 610 है. मूंग पीएमएस-8 की खासियत यह है कि वैज्ञानिकों ने इस दिल्ली-एनसीआर के मौसम को ध्यान में रखते हुए विकसित किया है. उसे उम्मीद है इस किस्म की खेती करने से दिल्ली-एनसीआर में मूंग दाल का उत्पादन बढ़ जाएगा. वहीं, मूंग लैम पेसरा 610 एलजीजी 610 को आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और ओडिशा की जुलवायु को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है. यानि इन राज्यों के किसान मूंग लैम पेसरा 610 एलजीजी 610 की खेती कर सकते हैं. इसकी उपज क्षमता 11.17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
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बता दें कि भारत दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं है. वह आपूर्ति को पूरा करने के लिए विदेशों से हर साल लाखों टन दलहन आयात करता है. इसके लिए सरकार को हजारों करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2018-19 में भारत ने सिर्फ 8,035 करोड़ रुपये की दालों को आयात किया था, जो 2023-24 में बढ़कर 31,072 करोड़ रुपये हो गया है. वित्तीय वर्ष 2024-25 के पहले महीने यानी अप्रैल में तो रिकॉर्ड 3429 करोड़ रुपये की दालों का आयात हुआ है, जो बता रहा है कि आयात पर हमारी निर्भरता और बढ़ने वाली है, क्योंकि यह पिछले साल के अप्रैल की तुलना में करीब तीन गुना अधिक है.
बढ़ती जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने के लिए दलहन फसलों की खेती का जितना विस्तार होना चाहिए उतना नहीं हुआ. देश में किसानों ने गेहूं-धान की फसलों को तवज्जो दी, जो उस वक्त की जरूरत थी. लेकिन नीति निर्माताओं ने समय-समय पर अलग-अलग फसलों के उत्पादन को लेकर मंथन नहीं किया, ऐसे में दलहन फसलें पीछे छूटती गईं. नतीजतन, किसानों के बीच गेहूं और धान के मुकाबले दलहन फसलों की हैसियत कम होती गई. क्योंकि गेहूं, धान की एमएसपी पर खरीद सुनिश्चित हो गई थी, जबकि दलहन के मामले में ऐसा नहीं हुआ.
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