धान खरीद करने वाले प्रमुख उत्पादक राज्यों में ज्यादातर टारगेट पूरा करने से पिछड़ गए हैं. पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना और उत्तराखंड अपना टारगेट पूरा नहीं कर सके हैं. हरियाणा में धान खरीद का समय भी पूरा हो चुका है. उत्तर प्रदेश अपने टारगेट का केवल 4 फीसदी ही खरीद पूरी कर सका है. हालांकि, बाकी राज्यों में अभी खरीद की अंतिम तिथि आने में समय है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि टारगेट पूरा हो जाए. लेकिन, कुछ राज्यों में विपरीत मौसम ने फसल उत्पादन को प्रभावित किया है, जिसके चलते आवक घटी है.
खाद्य और सार्वजनिक वितरण, उपभोक्ता मामले विभाग के आंकड़ों के अनुसार धान खरीद कर रहीं एजेंसियों ने 19 नवंबर 2024 तक देशभर से कुल 225 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की है. इनमें से सर्वाधिक धान खरीद पंजाब से 153 लाख मीट्रिक टन की गई है. हालांकि, पंजाब से 185 लाख टन धान खरीद का टारगेट है. ऐसे में पंजाब अभी काफी पीछे चल रहा है. लेकिन, पंजाब में खरीद के लिए अभी 10 दिन का और समय बाकी है. ऐसे में टारगेट पूरा होने की संभावना है. बता दें कि केंद्रीय पूल स्टॉक में धान का सबसे बड़ा योगदान देने वाला राज्य पंजाब ही है.
उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में खरीद आंकड़े देखें तो पता चलता है कि उत्तर प्रदेश अपने खरीद टारगेट का करीब 4 फीसदी ही पूरा कर सका है. उत्तर प्रदेश को 70 लाख टन खरीद का टारगेट मिला है, जिसमें से 19 नवंबर 2024 तक केवल 4.33 लाख मीट्रिक टन धान ही खरीदी जा सकी है. अन्य राज्यों में देखें तो आंध्र प्रदेश 1.79 लाख टन धान खरीद की गई है. इसी तरह छत्तीसगढ़ में 1.70 लाख टन, उत्तराखंड 2.99 लाख टन धान ही खरीद की जा सकी है, जो टारगेट से काफी कम है.
हरियाणा में धान खरीद की अंतिम तारीख 15 नवंबर को समाप्त हो गई है और वहां धान खरीद का टारगेट पूरा नहीं हो सका है. हरियाणा के किसानों से धान खरीद का टारगेट 60 लाख मीट्रिक टन तय था, जिससे खरीद एजेंसियां 6 लाख टन उपज की कम खरीद कर सकी हैं. 60 लाख मीट्रिक टन के टारगेट के मुकाबले 53.96 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस साल की खरीद पिछले सीजन में हासिल की गई 59 लाख मीट्रिक टन से भी काफी पीछे है.
धान खरीद में कमी के लिए मौसम की स्थिति, फसल पैटर्न में बदलाव और कड़े निगरानी उपायों सहित विभिन्न फैक्टर्स को जिम्मेदार ठहराया गया है. एक्सपर्ट के अनुसार धान की बाली आने और पकने के दौरान हुई बारिश ने उत्पादन को प्रभावित किया. जबकि, कई किसानों ने दूसरी फसलों पर शिफ्ट किया है, जिसकी वजह से भी उत्पादन में गिरावट देखी गई है. फसल विविधीकरण ने भी धान उत्पादन में गिरावट की वजह बना है.