आंध्र प्रदेश सरकार ने किसानों से धान की खरीद के लिए 1,000 करोड़ रुपये जारी किए हैं. नागरिक आपूर्ति मंत्री नादेंदला मनोहर ने गुरुवार को मीडिया को बताया कि किसानों को मौजूदा 1,659 करोड़ रुपये के कुल बकाए के बदले यह राशि जारी की गई है. भुगतान लगभग 50,000 किसानों को किया जाएगा, जिनसे धान खरीदा गया था. धान खरीद का बकाया जिलावार जारी किया जाएगा. पश्चिमी गोदावरी को 565.95 करोड़ रुपये, पूर्वी गोदावरी को 121.96 करोड़ रुपये, डॉ. बी.आर. अंबेडकर कोनासीमा को 163.59 करोड़ रुपये, काकीनाडा को 21.92 करोड़ रुपये, एलुरु को 19.96 करोड़ रुपये और बापटला को 6.61 करोड़ रुपये मिलेंगे.
डेक्कन क्रॉनिकल की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और उपमुख्यमंत्री के. पवन कल्याण ने किसानों के अनुरोध पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि नागरिक आपूर्ति निगम पर 36,300 करोड़ रुपये का कर्ज है और उन्होंने संकट से उबरने के लिए प्रयास करने का संकल्प लिया है. मंत्री ने काकीनाडा बंदरगाह से चावल के अवैध परिवहन में कथित संलिप्तता के लिए पूर्व विधायक द्वारमपुडी चंद्रशेखर के परिवार पर निशाना साधा और कहा कि नेटवर्क सभी जिलों में फैल गया है.
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उन्होंने कहा कि एक सप्ताह के समय में, हमने 159 करोड़ रुपये मूल्य के 35,404 मीट्रिक टन चावल जब्त किए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का संकल्प लिया. उन्होंने राशन चावल माफिया के संचालन को समझाते हुए कहा कि रैकेटियरों द्वारा बड़ी मात्रा में धोखाधड़ी की गई थी. लाभार्थी को एक रुपये में एक किलो चावल दिया जा रहा है और इस प्रक्रिया में केंद्र और राज्य सरकार दोनों को 45.33 रुपये प्रति किलो का खर्च आया. इस चावल को 7 रुपये प्रति किलो में खरीदा जा रहा था और इस रैकेट द्वारा काकीनाडा बंदरगाह से निर्यात किया जा रहा था. नागरिक आपूर्ति निगम को 1,500 करोड़ रुपए का घाटा हुआ, क्योंकि पिछली सरकार ने 9,260 मोबाइल डिस्पेंसिंग यूनिट खरीदी थीं. हम इस पर निर्णय लेंगे कि उन्हें जारी रखना है या नहीं.
वहीं, कल खबर सामने आई थी कि तेलंगाना में रबी धान की खरीद प्रक्रिया बंद हो गई है. कांग्रेस सरकार ने रबी सीजन के 48 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद पूरी कर ली है, जिसमें बारिश में खराब हुए स्टॉक भी शामिल हैं. नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारियों ने बताया कि हालांकि सरकार को 74 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीद की उम्मीद थी, लेकिन किसानों ने 20 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान मिल मालिकों और निजी खरीदारों को एमएसपी से बेहतर कीमत पर बेचा. कुल मिलाकर, सरकार ने लगभग नौ लाख किसानों से धान खरीदा और उनके बैंक खातों में 10,547 करोड़ रुपये जमा किए.
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