Paddy Farming: सिर्फ 90 दिनों में तैयार हो जाती है धान की ये किस्म, बंपर पैदावार के लिए है मशहूर

Paddy Farming: सिर्फ 90 दिनों में तैयार हो जाती है धान की ये किस्म, बंपर पैदावार के लिए है मशहूर

धान की कई उन्नत किस्मों में से एक है गरमा धान जिसकी खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होती है. इसकी खेती करके किसान कम समय में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. गरमा धान की फसल को पकने में मात्र 2 से 3 महीने का समय लगता है.

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प्राची वत्स
  • Noida,
  • Mar 05, 2025,
  • Updated Mar 05, 2025, 11:58 AM IST

भारत में चावल की खपत को देखते हुए धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. चावल दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी का मुख्य भोजन है. भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक और दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है. ऐसे में कृषि विशेषज्ञ आए दिन धान की किस्मों पर कई प्रयोग करते रहते हैं ताकि उन्नत किस्में विकसित की जा सकें. वहीं बढ़ते जल संकट को देखते हुए अक्सर धान की खेती किसानों और सरकार दोनों के लिए चिंता का विषय बन जाती है. इसे दूर करने के लिए हमारे देश के कृषि वैज्ञानिकों ने भी कई ऐसी किस्में विकसित की हैं जो कम पानी में ज्यादा उपज देने के लिए मशहूर हैं. इसी कड़ी में जानते हैं धान की गरमा किस्म के बारे में जो महज 90 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है.

धान की गरमा किस्म

धान की कई उन्नत किस्मों में से एक है गरमा धान जिसकी खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होती है. इसकी खेती करके किसान कम समय में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. गरमा धान की फसल को पकने में मात्र 2 से 3 महीने का समय लगता है. गरमा धान का इस्तेमाल चावल के अलावा चूड़ा बनाने में भी किया जाता है. इसलिए पश्चिम बंगाल में इस किस्म के धान की मांग काफी ज्यादा है. 

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खेती का सही समय

  • जनवरी के मध्य से फरवरी के मध्य तक का समय इसकी बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त है.
  • फरवरी के अंतिम सप्ताह से मार्च के प्रथम सप्ताह तक भी इसकी बुवाई की जा सकती है.
  • यदि बुवाई देर से की जाए तो इसकी कटाई अगस्त माह में की जा सकती है क्योंकि यह जल्दी पक जाती है.

गरमा धान की खेती कैसे करें?

  • धान के बीजों को 1 दिन तक पानी में भिगोकर रखें. इससे अंकुरण आसानी से होता है.
  • इसके बाद प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें.
  • इसके बाद नर्सरी तैयार करने के लिए बीजों को रोपें.
  • जब पौधों में 3 से 4 पत्तियां आ जाएं, तो पौधों को मुख्य खेत में रोप दें.
  • पौधों को करीब 15 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपें.

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अधिक उत्पादन के लिए करें ये काम

किसी भी फसल से अधिक उत्पादन लेने के लिए बीजों की क्वालिटी महत्वपूर्ण होती है. प्रत्येक तीन साल में एक बार बीज जरूर बदलें क्योंकि तीसरे साल तक 64 प्रतिशत बीज कम क्वालिटी वाले हो जाते हैं. बीज बदलने से उपज में 15 प्रतिशत की वृद्धि होती है. बीज बदलने का सबसे आसान और सस्ता तरीका यह है कि आप हर साल अपनी कुल जमीन के दसवें भाग में प्रमाणित बीज बोएं. हमेशा स्वस्थ और सही बीज बोएं, जो पहले 10 दिनों तक अंकुर को भोजन देने की क्षमता रखते हों.

स्वस्थ बीजों का चयन करने के लिए बीजों को 17 प्रतिशत नमक के घोल (100 लीटर पानी में 17 किलो नमक) में डुबोएं और ऊपर तैर रहे अस्वस्थ और हल्के (मठबदरा) दानों को अलग कर दें. नीचे जमे स्वस्थ बीजों को 1 से 2 बार साफ पानी में धोकर छाया में सुखा लें. इसके बाद धान के बीजों को 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम/मैन्कोजेब या 5-10 ग्राम ट्राइकोडर्मा जैविक फफूंदीनाशक से प्रति किलोग्राम धान के बीज के हिसाब से उपचारित करें और फिर बोआई करें. इसके साथ ही बीजों को 5-10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से जैविक कल्चर (एजोस्पिरिलम और पीएसबी कल्चर) से उपचारित करें.

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