प्याज की निर्यात बंदी के 132 दिन पूरे हो चुके हैं. किसान रोजाना इंतजार कर रहे हैं कि कब सरकार निर्यात को खोलेगी और उन्हें अच्छा दाम मिलेगा. लेकिन किसानों का इंतजार बढ़ता ही जा रहा है. सरकार ने अब अनिश्चितकाल के लिए प्याज की निर्यात बंदी लागू कर दी है इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि यह अब कब तक जारी रहेगी. किसानों का आरोप है कि निर्यात बंदी की वजह से ही देश की कई मंडियों में प्याज के दाम इस समय अपने निचले स्तर पर आ गए हैं. खास तौर पर महाराष्ट्र में, क्योंकि यह देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है और यहां कई जिलों में किसानों की आजीविका सिर्फ प्याज की खेती पर निर्भर रहती है. प्रभावित किसान चुनावी सीजन में अब सरकार को कोस रहे हैं.
राज्य की कई मंडियों में प्याज का न्यूनतम दाम, 100, 200, 300 और सिर्फ 400 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है. जबकि अधिकतम दम 1200 से 1600 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है. किसानों के दावे के अनुसार यह उत्पादन लागत से भी कम दाम है. महाराष्ट्र के धुले जिले में 16 अप्रैल को प्याज का न्यूनतम नाम सिर्फ 100 रुपये प्रति क्विंटल था, यानी मात्र 1 रुपये किलो. अधिकतम दम 1400 जबकि औसत दाम 1100 रुपये प्रति क्विंटल रहा.
इसी तरह सोलापुर, जामखेड़ और राहता मंडी में किसानों को न्यूनतम दाम सिर्फ 2 रुपये किलो मिल रहा है. अहमदनगर जिले की पाथर्डी मंडी में सिर्फ 3 रुपये और दौंड में मात्र 4 रुपये किलो दाम है. यह किसानों को मिलने वाला दाम है, जबकि महाराष्ट्र के ही शहरों जैसे मुंबई और पुणे में उपभोक्ताओं को 40 रुपये किलो पर प्याज मिल रहा है. किसानों का कहना है कि सरकार ने महंगाई रोकने के लिए निर्यातबंदी की है लेकिन उन लोगों को नहीं रोक रही है जो महंगाई बढ़ाते हैं. बल्कि सरकार सिर्फ किसानों को परेशान कर रही है तो चार महीने की कड़ी मेहनत के बाद प्याज का उत्पादन करते हैं.
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