प्याज व्यापारियों और सरकार के बीच दाम के मुद्दे पर हुई दो दौर की बैठक फेल रही है. दोनों पक्ष अपनी अपनी बात पर अड़े हुए हैं. इस बीच नासिक की मंडियों में सरकार की नीतियों के खिलाफ हड़ताल का आज 13वां दिन है. प्याज की नीलामी बंद रहने से व्यापारियों-किसानों का करोडों का नुकसान हो चुका है. अकेले लासलगांव मंडी में ही करीब सवा लाख मीट्रिक टन प्याज की नीलामी बाधित हुई है. यह देश का सबसे बड़ा बाजार है. केंद्र सरकार इस मूड में लग रही है कि आखिर किसान और व्यापारी प्याज बेचेंगे नहीं तो जाएंगे कहां. उधर, हड़ताल के कारण घाटे से परेशान व्यापारी और किसान अब नई रणनीति अपना सकते हैं.
इसके तहत वो कुछ मंडियां खोल सकते हैं.विंचूर मंडी खोल दी गई है, जबकि निफाड़ मंडी में नीलामी आज से बहाल हो सकती है. दोनों मंडियां देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक जिले नासिक में स्थित हैं. सूत्रों का यह निर्णय तब लिया गया है जब केंद्र सरकार ने कहा है कि वो प्याज़ पर लगी 40 फिसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी को समीक्षा करेगी. हालांकि केंद्र ने अभी व्यापारियों और किसानों की एक भी बात मानी नहीं है.
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इस साल पांच राज्यों में चुनाव है. उसके बाद लोकसभा का चुनाव है. इसलिए सरकार चाहती है कि प्याज का दाम किसी भी कीमत पर न बढ़ने पाए. इसलिए उसने पहली बार इस पर 40 प्रतिशत की भारी भरकम एक्सपोर्ट डयूटी लगाई. यही नहीं दाम को कंट्रोल में रखने के लिए नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनसीसीएफ) और नेफेड को बाजार में उतार कर सस्ता प्याज बिकवा रही है. चुनाव को देखते हुए उसे अभी उपभोक्ताओं की चिंता है. अभी वो महाराष्ट्र के किसानों और व्यापारियों की चिंता नहीं कर रही है.
देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक महाराष्ट्र है. कुल उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 43 फीसदी है. महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि केंद्र सरकार किसानों को दबा रही है. बाजार को डिस्टर्ब कर रही है. नेफेड को किसानों का दुश्मन बना दिया है. दिघोले का कहना है कि नेफेड जब किसानों से बफर स्टॉक के लिए प्याज खरीदता है तो सही दाम नहीं देता और जब मार्केट में दाम बढ़ने लगता है तो वही प्याज लाकर सस्ते में बेचने लगता है. जिससे किसानों को नुकसान होता है. नफेड और एनसीसीएफ आजकल ऐसा ही काम कर रहे हैं. इसलिए किसानों में इन दोनों एजेंसियों के खिलाफ गुस्सा है. इसलिए 20 सितंबर से व्यापारियों ने हड़ताल कर रखी है और किसानों का उनको समर्थन है.
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