महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में पिछले पांच दिनों से लगातार भारी बारिश और बादल फटने से कई गांव बाढ़ चपेट में आ गए हैं. आसमान से बरसी आफत वाली बारिश ने कई जिंदगियों को तबाह कर दिया है. दरअसल, मुखेड़ तहसील स्थित हसनाल गांव में बाढ़ से पांच ओर धडकनाल गांव में तीन लोग की मौत हो गई है. इसके अलावा बाढ़ में 200 से ज्यादा जानवर भी पानी में बह गए हैं. साथ ही इस क्षेत्र के लाखों एकड़ में लगी कई फसलें बर्बाद हो गई हैं.
इस भयंकर बाढ़ में इन गांवों के 260 लोगों का मकान और सामान भी पानी में बह गया है, तो वहीं, दूसरी ओर किसानों की 7 लाख 13 हजार हेक्टेयर में लगी फसलें बर्बाद हो गई हैं. इस इलाके के किसानों को मूंग,उड़द, गन्ना, ज्वार, कपास सहित अन्य फसलों का बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है. नांदेड जिले के किसान आसमानी आफत से संकट में हैं. साथ ही किसान सरकार से मुआवजे के लिए गुहार लगा रहे हैं.
हसनाल के किसान नीलकंठ पाटिल ने बताया कि उन्होंने दस एकड़ में सोयाबीन , उड़द, कपास और तुअर लगाई थी जो बारिश में बह गई.उन्होंने बताया कि बगल वाले में ज्यादा बारिश होने के कारण पूरी की पूरी फसल बारिश में बर्बाद हो चुकी है. इससे किसानों का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है, लेकिन प्रशासन यहां पर ध्यान देने के लिए तैयार नहीं है. उन्होंने बताया कि नुकसान हुई फसलों का अभी तक पंचनामा भी नहीं हुआ है. ना ही सरकार की ओर से कोई मदद किया जा रहा है. इसलिए किसान परेशान हैं.
किसान नीलकंठ पाटिल ने कहा कि किसान मुआवजे की मांग कर रहे हैं लेकिन अभी तक प्रशासन ओर से इस बारे में कुछ बताया नहीं गया है. ऐसे में किसानों का कहना है कि प्रशासन जल्द से जल्द मदद करे, ताकि किसानों को थोड़ी सी राहत मिलेगी.
हसनाल गांव के ही दूसरे किसान दत्ता बनबरे ने बताया कि पानी के कारण पूरी फसल बर्बाद हो गई है. वहीं, बाढ़ का पानी गांव में आने की वजह से पूरा गांव भी बह गया है. अब रहने के लिए घर भी नहीं है और खेती भी नहीं बची है. उन्होंने बताया कि खाने के लिए कुछ भी नहीं है. इसलिए सरकार कि ओर से हमें कुछ तो मदद मिलनी चाहिए.
रावण गांव के किसान महबूब शेख ने बताया कि देर रात दो बजे पूरे गांव में पानी भर गया. महबूब शेख ने बताया कि उन्होंने तीस एकड़ में खेती कि थी जो बाढ़ में पूरी तरह से बर्बाद हो गई है, जिससे उन्हें दस लाख का नुकसान हुआ है. इस बाढ़ में उनकी सोयाबीन, कपास, तुअर पूरी तरह पानी में बह गई है. साथ ही अब रहने के लिए घर नहीं है. ऐसे में उन्होंने सरकार से रहने के लिए मकान और फसलों के लिए मुआवजे की गुहार लगाई है.
एक महिला किसान शाफियाबी मखदूम शाह ने बताया कि उनके पास सात एकड़ जमीन है. उसमें उन्होंने सोयाबीन, तुअर, मूंग-उड़द और कपास की खेती की थी जो पानी में बह गया. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार से यह मांग है कि हमें मुआवजा दे.
मुखराम बाद के किसान जो खेती और दूध का व्यापार करते है. उन्होंने बाढ़ कि आपबीती बताते हुए कहा कि अचानक से बादल फटने से गांव के चारों ओर पानी पानी हो गया था. इस पानी में उनकी चालीस भैंस और गाय की मौत हो गई. उन्होंने कहा कि वो हर दिन 200 लीटर दूध बेचते थे. प्रशासन की ओर से पंचनामा तो हुआ लेकिन मुआवजा नहीं मिला. उन्होने बताया कि इस बाढ़ में उनका डेढ़ करोड़ का नुकसान हुआ है. सरकार ने मुआवजा नहीं दिया तो उनके पास कुछ भी नहीं बचेगा जिससे वो अपने बच्चों को पढ़ा सकें. उन्होंने कहा कि ऐसे में उनके पास खुदकुशी करने के सिवाय कोई उपाय नहीं बचेगा.