भारत में डायबिटीज की समस्या अब बहुत आम हो गई है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि ये समस्या छोटी है. हाल ही में एक शोध के दौरान पता चला कि भारत में 10 करोड़ से ज्यादा लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं. वहीं, 13 लाख से ज्यादा लोग डायबिटीज का शिकार होने की कगार पर हैं. वहीं इस बीमारी के पीछे का कारण कहीं न कहीं खराब खान-पान और चिंता को दर्शाता है. डायबिटीज से पीड़ित लोगों कि सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि वो क्या खाएं ओर क्या नहीं. ऐसे में इन मरीजों कि चिंता का हल पंजाब की एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने खोज निकाला है.
पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी का यह शोध डायबिटीज से पीड़ित मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. दरअसल, यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च टीम ने गेहूं की एक खास किस्म तैयार की है, जो टाइप-2 डायबिटीज और दिल से जुड़ी बीमारियों के खतरे को कम कर सकती है. क्या है पूरी खबर आइए जानते हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस गेहूं से बनी रोटी (Wheat Bread) या कोई भी व्यंजन जो इस किस्म के आटे से बना हो उसे खाने से शरीर में ग्लूकोज का स्तर तेजी से नहीं बढ़ेगा. यह पीडब्लू आरएस 1 (PBW RS1), आरएस प्रतिरोधी स्टार्च से समृद्ध है. इसमें मौजूद उच्च एमाइलोज और प्रतिरोधी स्टार्च के कारण रक्त प्रवाह के दौरान ग्लूकोज का उत्पादन धीरे-धीरे होगा. साथ ही पाचन क्रिया भी धीमी हो जाएगी. जिस वजह से शुगर को कंट्रोल किया जा सकेगा. इतना ही नहीं इससे पेट भरा हुआ महसूस होगा. जो व्यक्ति सामान्य गेहूं की 4 रोटियां खाता था, उसे अब दो रोटी खाकर ही पेट भरा हुआ महसूस होगा. यानी शुगर के साथ-साथ इस किस्म की रोटी खाने से मोटापा भी कम होगा.
इस किस्म के बारे में अधिक जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय में प्रमुख गेहूं ब्रीडर अचला शर्मा ने कहा कि विशेष प्रकार के गेहूं के आटे से बनी चपाती और बिस्कुट में भी कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जो स्टार्च की कम पाचनशक्ति से जुड़ा है. इसलिए, यह मोटापा और शुगर (विशेषकर टाइप 2 शुगर) सहित आहार संबंधी बीमारियों के प्रसार को कम करने में मदद कर सकता है.
इस किस्म के गेहूं में कुल स्टार्च की मात्रा गेहूं की अन्य किस्मों के लगभग 66-70 प्रतिशत के बराबर होती है. लेकिन इसमें 30.3 प्रतिशत प्रतिरोधी स्टार्च सामग्री है, जबकि पीबीडब्ल्यू 550, पीबीडब्ल्यू 725, एचडी 3086 और पीबीडब्ल्यू 766 सहित अन्य किस्मों के लिए यह केवल 7.5-10 प्रतिशत है. अन्य किस्मों में 56-62 प्रतिशत गैर-प्रतिरोधी स्टार्च सामग्री है जो लगभग आधी है ( 37.1 प्रतिशत) पीबीडब्ल्यू आरएस1 में है. इसी तरह, पीबीडब्ल्यू आरएस1 में 56.63 प्रतिशत एमाइलोज है जबकि अन्य किस्मों में केवल 21-22 प्रतिशत है.