बहुत ज्यादा बारिश की वजह से राजस्थान में खरीफ सीजन की प्रमुख फसलें मूंग, बाजरा और तिल इस समय रोगों और कीटों की मार झेल रही हैं. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए राजस्थान कृषि विभाग की ओर से एक खास सर्वे टीम ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और किसानों को समय रहते सतर्क रहने की सलाह दी. पिछले दिनों हुए इस सर्वे में किसानों के सामने कई तरह की समस्याएं पैदा हुई हैं. आपको बता दें कि इस बार राजस्थान में भारी बारिश से किसानों को काफी नुकसान हुआ है और राज्य सरकार की तरफ से उन्हें हुए नुकसान के लिए मुआवजे का ऐलान किया जा चुका है.
टीम ने जो सर्वे किया उसमें मूंग की फसल में सरकोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग पाया गया. बाजरा में स्मट और एरगट रोग के साथ फड़के और सेफर बीटल कीड़े दिखे, हालांकि इनकी संख्या नुकसानदायक स्तर से कम रही. तिल की फसल में फाइलोडी रोग मिला जोकि न के बराबर था. जबकि पाउडरी मिल्ड्यू का असर नजर आया. राहत की खबर यह रही कि अरंडी की फसल बिल्कुल स्वस्थ पाई गई और उस पर किसी कीट या रोग का असर नहीं दिखा.
सर्वे टीम ने किसानों को रोग और कीटों से बचाव के लिए कुछ जरूरी कदम उठाने की सलाह दी. इन सलाह में खास बातें थी-
निरीक्षण के दौरान कई स्थानीय किसान भी उपस्थित रहे. विभाग के अतिरिक्त निदेशक के निर्देश पर बनी टीम ने जालोर जिले के धवला, लेटा, कानीवाड़ा, ऊण, सांकरणा, भैंसवाड़ा और बागरा गांवों के साथ ही सायला तहसील के रेवतड़ा और केशवना गांव और आहोर के गोदान गांव का दौरा किया. यह सर्वे 'रैपिड रोविंग' पद्धति से किया गया. निरीक्षण दल का नेतृत्व उप निदेशक कृषि (सामान्य) डॉ. खुमान सिंह रूपावत ने किया. उनके साथ सहायक निदेशक सुभाष चंद्र, कृषि अधिकारी जया श्रीमाली और कृषि अनुसंधान केंद्र केशवना से पादप रोग विशेषज्ञ डॉ. रतन लाल शर्मा मौजूद रहे.
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