आम को निर्यात करने के लिए बेहतर क्वालिटी के साथ ही फल का सही वजन जरूरी है. इसके लिए आम उत्पादकों को बैगिंग करना जरूरी है. इसी बीच आम की बागवानी करने वाले किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है. राजधानी लखनऊ में उत्तर प्रदेश की पहली फ्रूट बैग कवर (Fruit Cover Bag) यानी मैंगो बैगिंग यूनिट का प्रोडक्शन शुरू हो गया हैं. इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में अवध आम उत्पादक बागवानी समिति मलिहाबाद के महासचिव संघ उपेंद्र सिंह ने बताया कि राजधानी लखनऊ के कुर्सी रोड पर स्थित इंडस्ट्रियल एरिया में मैंगो बैगिंग यूनिट से फरवरी के पहले हफ्ते से प्रोडक्शन शुरू हो गया हैं. पहले साल 25 लाख से अधिक बैग की डिमांड अभी तक आ चुकी है.
उन्होंने बताया कि इस साल आम की पैदावार अच्छी होगी. मैंगो बैगिंग का कागज चाइना से आता है, एक कंटेनर लखनऊ पहुंच चुका हैं. सिंह ने बताया कि सीतापुर, उन्नाव, लखनऊ और बाराबंकी में आम की बागवानी करने वाले किसानों को सस्ते रेट पर फ्रूट बैग कवर मिलेगा. उन्होंने बताया कि 2 रुपये 20 पैसे के दर से एक बैग की कीमत रखी गई है. जिसमे सीएसटी शामिल है. वहीं उद्यान विभाग ने 10 हजार बैग और सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर सबट्रॉपिकल हॉर्टीकल्चर (CISH) लखनऊ के द्वारा 9 लाख मैंगो बैग का ऑर्डर दिया जा चुका है.
आम या अन्य फलों में बैगिंग से फल में फंगल संक्रमण, मक्खी संक्रमण, कीट से होने वाले नुकसान के साथ ही मौसम के दुष्प्रभाव से बचाव होता है. उपेंद्र सिंह ने कहा कि आम की फसल की अच्छी कीमत पाने के लिए किसान आम पर बैगिंग जरूर लगाएं. उन्होंने कहा कि एक किलो आम के लिए एक बैगिंग की कीमत 2 रुपये होती है. एक किलो में चार आम चढ़ते हैं. यानी 2 रुपये के खर्च पर चार आम को क्वालिटीयुक्त बनाया जा सकता है. बैगिंग अपनाने से आम का स्वाद, स्किन कलर और साइज बेहतर होता है, जिससे फल एक्सपोर्ट लायक हो जाता है.
उन्होंने बताया कि इस मशीन की खासियत हैं कि एक मिनट में 300 से 400 बैग बनाकर निकाल देगी. इससे पहले हम लोगों ने 1.80 पैसे एक बैग को आंध्र प्रदेश से खरीदा था. लेकिन अब लखनऊ में फैक्ट्री लगने के बाद ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि एक बैग 1.50 रुपये में मिल जाएगा. उपेंद्र सिंह ने बताया कि कंपनी के द्वारा अभी एक बैग की कीमत फिक्स नहीं की गई है.
आम के प्रगतिशील किसान उपेंद्र सिंह ने कहा कि सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर सबट्रॉपिकल हॉर्टीकल्चर (CISH) लखनऊ छोटे आम किसानों को ट्रेनिंग दे रही है. हम 2016 से CISH से जुड़े हैं. यहां इंटरक्रॉपिंग, मिनिमम पेस्टीसाइड, बैगिंग के तरीके सिखाए जाते हैं. बैगिंग टेकनीक अपनाने से आम की कीमत 4 गुना ज्यादा मिली है. हमने 18-20 रुपये के आम को 150 रुपये किलो में बेचा. CISH में आम की 775 से ज्यादा किस्मों का संरक्षण किया गया है. पुरानी किस्मों को सहेजने के साथ ही नई वैराइटी विकसित की जा रही है. इसके लिए किसानों को ट्रेनिंग दी जाती है.
वहीं इनसे फल का आकार बड़ा और स्वाद भी अच्छा होता है. निर्यात करने के लिए फ्रूट कवर बैग तकनीक से तैयार किए गए फल उपयुक्त रहते हैं जिसके चलते किसानों को अच्छा दाम भी मिलता है. दशहरी आम का अमेरिका को निर्यात होना न सिर्फ मलिहाबाद बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है.
सिंह ने बताया कि 50 लाख से अधिक बैगिंग वाले किसान आज मौजूद है, यानी डेढ़ हजार हेक्टेयर हम लोगों के पास बैगिंग वाले दहशरी आम के किसान है. नान बैगिंग वाले आम की कीमत मार्केट में कम मिलती है. जबकि बैगिंग वाले आम की वैरायटी की मार्केट में बहुत अधिक डिमांड रहती है.
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