पंजाब और हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर करीब एक साल से चल रहे किसान आंदोलन में अब एक नया पड़ाव आ गया है. सरकार के साथ आंदोलनकारी किसान 14 फरवरी को चंडीगढ़ में पांचवें दौर की बातचीत करेंगे ताकि, उनकी 13 मांगों का समाधान हो सके. दोनों तरफ से इस बात की तैयारी चल रही है कि कौन-कौन लोग बैठक में होंगे. लेकिन, उससे पहले किसानों ने तीन महापंचायतों का ऐलान किया है. इसके तहत 11 फरवरी को राजस्थान से लगते रतनपुरा मोर्चे पर महापंचायत होगी. इसी तरह 12 फरवरी को दातासिंहवाला-खनौरी एवं 13 फरवरी को शंभू बॉर्डर पर महापंचायत होगी. खनौरी बॉर्डर पर होने वाली महापंचायत को जगजीत सिंह डल्लेवाल भी संबोधित करेंगे. सरकार से बातचीत से पहले किसान अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं.
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल, सरवन सिंह पंढेर और अभिमन्यु कोहाड़ की लीडरशिप में एमएसपी की लीगल गारंटी सहित 12 अन्य मांगों को लेकर पिछले एक साल से आंदोलन चल रहा है. लोकसभा चुनाव-2024 से पहले केंद्र सरकार ने आंदोलनकारी किसानों से चार दौर की बातचीत की थी. जिसमें तब के केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय सरकार की ओर से शामिल हो रहे थे. लेकिन पांचवें दौर की बातचीत कई महीने के बाद हो रही है, जिसमें वर्तमान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के शामिल होने की संभावना काफी कम है, क्योंकि 14 फरवरी को ही उनके बेटे की भोपाल में शादी है. बहरहाल, दोनों तरफ से बातचीत की तैयारियां चल रही हैं.
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उधर, जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन दातासिंहवाला-खनौरी किसान मोर्चे पर जारी है. सात दिन के बाद आज सोमवार को डॉक्टरों के प्रयासों के बाद ड्रिप के माध्यम से उनकी मेडिकल सहायता शुरू की गई है. दोनों हाथों की सभी नसें ब्लॉक होने की वजह से पिछले 6 दिनों से उनकी मेडिकल सहायता बंद थी. किसान नेताओं ने कहा कि कल 11 फरवरी को रतनपुरा (मोर्चे पर होने वाली किसान महापंचायत की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है. मंगलवार को राजस्थान एवं हरियाणा के हजारों किसान रतनपुरा मोर्चे पर पहुंचेंगे.
अमेरिका से भारतीयों को जहाज के माध्यम से वापस भेजे जाने के मसले पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि अपने खुद के देश में रोजगार न मिलने की वजह से नौजवानों को मजबूरी में विदेश जाना पड़ता है. हमारी केंद्र सरकार आत्मनिर्भर भारत व स्वदेशी का नारा तो देती है लेकिन उसके लिए जमीन पर काम नहीं करती. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी को दूर करने के लिए कृषि क्षेत्र पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है.
डल्लेवाल ने कहा कि देश की 50 फीसदी से अधिक आबादी खेती पर निर्भर है लेकिन खेती के लिए पूरे बजट का मात्र 3.38 फीसदी बजट आवंटित किया जाता है जो बहुत कम है. डल्लेवाल ने कहा कि MSP गारंटी कानून बनाने से, स्वामीनाथन आयोग के C2+50% फॉर्मूले को लागू करने से एवं किसानों की कर्ज़मुक्ति करने से ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कृषि क्षेत्र में सुधार लाया जा सकता है.
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