उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में खाद न मिलने और अपमानित किए जाने के सदमे में एक किसान ने फांसी लगाकर अपनी जिंदगी खत्म कर ली. मृतक रामेश्वर, जो अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखते थे, अपनी दो बीघा जमीन की बुवाई के लिए कई दिनों से खाद केंद्र के चक्कर लगा रहे थे. परिजनों का कहना है कि रामेश्वर को न केवल खाद नहीं मिली, बल्कि सिजहरी साधन सहकारी समिति के सचिव द्वारा जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर अपमानित किया गया. इस अपमान और खेती की चिंता ने रामेश्वर को अंदर से तोड़ दिया.
परिवार के अनुसार, रामेश्वर घर लौटकर अपने दर्द को साझा कर रहे थे. उनके पुत्र रंजीत और भतीजे लालू ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि कल खाद मिल जाएगी, लेकिन वे आहत और निराश होकर घर में ही कपड़े से फांसी का फंदा बना लिया.
घटना के समय रामेश्वर का छोटा बेटा देवीदर्शन घर के बाहर था और पत्नी छत पर खाना बना रही थीं. जब वह कमरे में गईं, तो उन्होंने पति को फंदे पर लटकता देखा और चीख उठीं. परिवार की आंखों के सामने उनका सहारा हमेशा के लिए छिन गया. रामेश्वर के छह बच्चे हैं, जिनमें चार बेटियों की शादी हो चुकी है और 19 वर्षीय रंजीत व 14 वर्षीय जितेंद्र पढ़ाई कर रहे हैं.
दो बीघा जमीन पर मेहनत कर परिवार का भरण-पोषण करने वाले किसान की मौत ने परिवार को गहरे संकट में डाल दिया है. घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. वहीं, समिति के सचिव अच्छेलाल सेन का कहना है कि रामेश्वर उनकी सोसाइटी में खाद लेने आए ही नहीं थे और उनसे किसी भी प्रकार की बातचीत नहीं हुई. उनका कहना है कि समिति में रजिस्टर्ड किसानों को ही खाद बांटी गई और आरोप बेबुनियाद हैं.
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. वहीं, समिति के सचिव अच्छेलाल सेन का कहना है कि रामेश्वर उनकी सोसाइटी में खाद लेने आए ही नहीं थे और उनसे किसी भी प्रकार की बातचीत नहीं हुई. उनका कहना है कि समिति में रजिस्टर्ड किसानों को ही खाद बांटी गई और आरोप बेबुनियाद हैं.
(महोबा से नाहिद अंसारी की रिपोर्ट)
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