बीती रात हिंगोली में हुई मूसलाधार बारिश के कारण जिले में कयादु नदी उफान पर आ गई है. नदी का पानी लगभग दो किलोमीटर तक खेतों में घुस गया है, जिससे फसलों पर पानी का सैलाब बह रहा है. खासकर सोयाबीन, कपास और तुअर की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है.
डोंगरगांव के किसान दिलीप जोशी और विनोद क्षीरसागर की 6 एकड़ की पुस्तैनी जमीन में लगी फसलें इस बाढ़ से पूरी तरह प्रभावित हुई हैं. दोनों ने इस साल सोयाबीन और तुअर की खेती की थी, जिसमें लगभग डेढ़ लाख रुपये की लागत आई थी. बारिश से पहले फसल कटाई का समय था, लेकिन अब किसानों की सारी उम्मीदें बाढ़ के पानी में डूब गई हैं.
यहां जिधर देखो उधर सैलाब ही नजर आ रहा है. सड़क से लेकर खेत तक बाढ़ का पानी भर गया है. बाढ़ का पानी कम होने की संभावना भी नहीं है क्योंकि आसमान में अभी भी काले बादल नजर आ रहे हैं. कभी भी बारिश का दौर शुरू हो सकता है.
फसलों की हालत ये है कि खेत में पूरे पौधे जलमग्न हैं. किसानों ने बताया कि कमर भर पानी लगा हुआ है. तुअर, सोयाबीन और कपास की फसल पूरी तरह डूब गई है. किसान ने बताया कि 15 दिन में फसल कटने वाली थी, मगर अचानक बाढ़ आ गई. सरकार से गुहार है कि उन्हें आर्थिक मदद दी जाए. एक दिन पहले ही इस इलाके में मंत्री आए थे और हालात देखकर गए. किसान ने फसल बीमा भी कराया था जिससे मुआवजा मिलने की उम्मीद है.
किसानों का कहना है कि उन्होंने फसलों का बीमा कराया है और नुकसान के बाद क्लेम भी किया है. अब वे मांग कर रहे हैं कि दीपावली और दशहरे से पहले मुआवजा भुगतान हो, ताकि वे फिर से खेती कर सकें. मुआवजे से पहले प्रशासन को किसानों की फसलों का पंचनामा करना होगा. पंचनामे के आधार पर ही किसानों के मुआवजे का ऐलान होगा. इसलिए जल्द से जल्द पंचनामा कराने की मांग की गई है.
जिले में कुल साढ़े तीन लाख हेक्टेयर में खेती हुई थी, जिसमें करीब 2.75 लाख हेक्टेयर फसलों का नुकसान हुआ है. प्रशासन की जानकारी के अनुसार अब तक बाढ़ में 86 से अधिक जानवर बह गए हैं और चार लोगों की मौत हो चुकी है.
किसान महाराष्ट्र सरकार से त्वरित मदद की गुहार लगा रहे हैं, ताकि वे इस आपदा से उबर सकें. इस साल उन्हें मौसम की मार बहुत अधिक झेलनी पड़ी है जिससे फसलों के साथ साथ पशुधन की भी हानि है.