धान की फसल से बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए खड़ी फसल में खरपतवार प्रबंधन से लेकर सिंचाई उर्वरक, पौध संरक्षण उपायों को अपनाने की जरूरत होती है जिसको सही समय पर सही तरीके से अपनाकर बेहतर उपज ली जा सकती. चालू खरीफ सीजन में 11 अगस्त तक देश में धान की खेती 330 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है. इसमें चार अगस्त के बाद 11 अगस्त तक देश में करीब 50 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई और रोपाई का अनुमान है. देश में देर से बोए गए और रोपे गए धान के खेतों में कुछ प्रबंधन को ध्यान में रखकर बेहतर उत्पादन लिया जा सकता है. इसके लिए राष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र कटक ने अगस्त के दूसरे पखवाड़े में धान की खेती में क्या करना चाहिए, इसके लिए सुझाव भी दिए हैं.
राष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र कटक के अनुसार, अगस्त के पहले सप्ताह में धान की रोपाई में देरी हुई है. रोपण के 05-10 दिनों के बाद, उन्होंने खरपतवार नियंत्रण के लिए दानेदार खरपतवार नाशक बेन सल्फ्यूरान मिथाइल 0.6 प्रतिशत + हेटलाक्लोर 6 प्रतिशत जीआर को चार किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से चार किलोग्राम रेत में मिलाकर छिड़काव करें या बिसपाइरिबैक सोडियम 10 प्रतिशत (एससी) को 120 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से 120 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. अगर खेत में खरपतवार निकल रहे हैं तो धान की बुआई या रोपाई के 15-20 दिन बाद खरपतवार पौधों की जब दो से तीन पत्तियों की अवस्था बन जाती है तो उस समय खरपतवार नियंत्रण के लिए पेनोक्सालम + साइहेलोफॉप इथाइल (वाइवा) खरपतवार नाशक दवा 900 मिली प्रति एकड़ की दर से 120 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
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जल्द रोपी गई धान की फसल में थ्रिप्स कीट की समस्या देखी जाती है. अगर इस कीट की समस्या दिखाई दे तो नीम आधारित कीटनाशकों जैसे एजिहाइड्रिक्टन को एक लीटर प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं. अगर आप बीपीएच या भूरे भूदका कीट की समस्या वाले क्षेत्रों में धान का देरी से रोपाई कर रहे हैं, तो रोपण के बाद एक पंक्ति छोड़कर 8-10 लाइनों में धान लगाना चाहिए. तना छेदक से प्रभावित खेतों में इसके नियंत्रण के लिए अंडे परजीवी ट्राइकोग्रामा जैपोनिकम के तीन कार्ड प्रति एकड़ एक सप्ताह के अंतराल पर लगाना चाहिए, जब तक कि कीटों की संख्या अधिक दिखाई न दे, तो तना छेदक कीटों को मारने के लिए प्रति एकड़ एक प्रकाश पंपच लगाएं.
तना छेदक कीट के निगरानी के लिए प्रति एकड़ तीन फेरोमोन ट्रैप लगाएं और कीड़ों की निगरानी करें. अगर नर कीटों की संख्या प्रति जाल चार या पांच तक पहुंच जाती है, तो एजाडिरेक्टिन 0.15 प्रतिशत ईसी 800 मिलीलीटर प्रति एकड़ या क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5 प्रतिशत एससी 60 मिलीलीटर प्रति एकड़ प्रयोग करें. इसके लिए 200 लीटर पानी का छिड़काव करें या कारटेप हाइड्रोक्लोराइड 4जी दवा 10 किलोग्राम प्रति एकड़ डालें. अगर धान की दो पत्तियां प्रति हिल यानी धान की पुंज में मुड़ी हुई दिखाई देती हैं, तो धान के लीफ फोल्डर यानी लीफ कर्ल कीट के नियंत्रण के लिए क्लोरोट्रेनिओल 18.5 प्रतिशत (एससी) दवा 60 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से या कर्टैप हाइड्रोक्लोराइड 50 (डीपी) दवा को 400 ग्राम का उपयोग करें. इन दवाओं के छिड़काव के लिए प्रति एकड़ 200 लीटर पानी की जरूरत होती है.
इस समय धान की फसल पर कुछ रोग–बीमारी का प्रकोप होता है. अगर धान की फसल में शीथ ब्लाइट का प्रकोप दिखाई दे तो टेबुकोनाजोल 50 प्रतिशत + ट्राइलोक्सिट्रोबान 25 प्रतिशत दवा की 0.4 ग्राम मात्रा एक लीटर पानी के साथ छिड़काव करें. इस स्प्रे के लिए प्रति एकड़ 200 लीटर पानी की घोल की जरूरत होती है. इस रोग की रोकथाम के लिए 7-10 दिनों के अंतराल पर छिड़काव दोहराया जाता है. धान में झुलसा रोग दिखाई देने पर प्लाइटोमाइसिन दवा की एक ग्राम मात्रा को कॉपर ऑक्सीक्लोराइड के साथ एक ग्राम प्रति लीटर पानी हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें.
दवाओं के छिड़काव के लिए 200 लीटर पानी प्रति एकड़ जरूरत पड़ेगी. धान की फसल में जिंक की कमी वाले क्षेत्रों में धान रोपने के 30 और 45 दिनों के बाद 0.5 ग्राम प्रति एक लीटर की दर से Zn-EDTA का छिड़काव करें. अगर धान की फसल में इसके बावजूद लक्षण दिखाई दे तो 15 दिन के अंतराल पर पांच प्रतिशत जिंक सल्फेट के घोल का तीन बार छिड़काव करें.
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अर्ध-जल जमाव और गहरे पानी वाले क्षेत्रों में जहां धान की सीधी बुआई की गई है, वहां खरपतवार नियंत्रण के लिए खरपतवारनाशी दवा का उपयोग नहीं किया गया है और अगर खेत में पानी कम से कम 7-10 सेमी खड़ा है तो उसमें 'ब्यूशिंग' की जाती है. इसका अर्थ है धान उगने के चार से छह सप्ताह बाद धान के खेत में 'ब्यूशिंग' धान के खेत में उल्टी जुताई की जाती है. इसे पूर्वी भारत में ज्यादा किया जाता है. इसके बाद 18 किग्रा यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करते हैं. बरसाती उथले निचले इलाकों में जहां धान की सीधी बुवाई की गई हो, वहां जहां खरपतवार नियंत्रण के लिए खरपतवारनाशी प्रयोग नहीं किया गया है, जिस खेत में चार से छह सप्ताह बाद कम से कम 7-10 सेमी खड़ा पानी जमा हो, उस खेत में 'ब्यूशिंग' की जा सकती है. 'ब्यूशिंग' के बाद 36 किग्रा यूरिया प्रति एकड़ प्रयोग करें.