कुछ फसल किसानों के लिए डबल फायदे वाली होती है. किसान इस फसल से अच्छा मुनाफा भी कमाते हैं. ऐसी ही एक फसल है करौंदे की. करौंदा कांटेदार और झाड़ीदार सूखा सहनशील पौधा है. करौंदे का पौधा खेत के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है. इसे सूखी, बंजर, रेतीली, पथरीली भूमि में भी लगाया जा सकता है. इसे अक्सर खेतों और मेड़ों के आसपास लगाया जाता है. यह पौधा फल देने के साथ-साथ उनकी फसलों की सुरक्षा भी करता है. करौंदा एक कांटेदार झाड़ी जैसा पेड़ होने के कारण नीलगाय और जंगली जानवरों को फसल नुकसान पहुंचाने से रोकता है. साथ ही इसका पौधा लगाने से जहां खेत में लगी दूसरी फसल को रोग नहीं लगता है. करौंदा को किसी भी फसल या बागवानी के आसपास लगाया जाता है. वहीं इसके फल की बिक्री कर अच्छा मुनाफा भी कमाया जा सकता है.
आपको बता दें कि किसान अपने खेतों के मेड पर करौंदे का पौधा लगा सकते हैं. यह वृक्ष कांटेदार और सघन होने के साथ झाडीदार होता है. जिससे धान, उरद मूंग और मौसमी सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को जंगली जानवरों से सुरक्षा मिलती है. साथ ही करौंदे का पौधा किसान अपने खेत के मेड पर लगा कर फसलों को रोगों से बचा सकते हैं. इससे फसलों में लगने वाले जलजनित और भूमि जनित रोगों से छुटकारा मिलता है.
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करौंदे के फल खट्टे और स्वादिष्ट होते हैं, जिससे जेली, मुरब्बा, चटनी और कैंडी बनाकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. इसके साथ ही करौंदा सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है. ब्लडप्रेशर, शुगर के साथ-साथ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी यह काफी कारगर होता है. साथ ही कमाई की बात करें तो 1 एकड़ में लगाए गए करौंदे से करीब 50 से 60 हजार रुपये का मुनाफा कमाया जा सकता है. वहीं, इसकी खास बात यह है कि करौंदे के पौधे को किसी भी फसल या बागवानी की खेती के दौरान लगाया जा सकता है.
सिंचित क्षेत्रों में करौंदा के पौधों की रोपाई जुलाई-अगस्त और फरवरी-मार्च में की जा सकती है. करौंदे के पौधों को बाड़ के रूप में लगाने के लिए पौधों के बीच की दूरी 1 मीटर रखनी चाहिए. वहीं, करौंदे का बगीचा लगाने के लिए खेत में 3 x 3 या 4 x 4 मीटर की दूरी पर 60x60x60 सेमी. आकार के गढ्ढे खोदकर उनमें 15 किलो गोबर की खाद और 50 ग्राम मिथाइलपैराथियान 2 प्रतिशत चूर्ण मिलाकर आसपास की मिट्टी को अच्छी तरह से मिलाकर दबा देना चाहिए. इन गड्ढो में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए. मेंड़ और बाड़ के लिए पौधे 1 से 1.5 मीटर की दूरी पर लगाएं. इसके बाद 15 दिन बाद पौधा रोपण करें.