आईटीसी लिमिटेड ने खेती में सुधार और किसानों की मदद के लिए जलवायु स्मार्ट कृषि कार्यक्रम शुरू किया है. यह देश के 19 राज्यों में शुरू किया गया है, जिससे लगभग 2 लाख महिलाएं जुड़ी हुई हैं और यह कार्यक्रम 10.5 लाख से अधिक किसानों को कवर कर रहा है. कंपनी की 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि उसने 19 राज्यों में एक व्यापक जलवायु स्मार्ट कृषि कार्यक्रम शुरू किया है, ताकि कृषि विज्ञान प्रथाओं, जलवायु अनुकूल किस्मों, सटीक खेती, जल प्रबंधन और उचित मशीनीकरण के पैकेज के माध्यम से कम उपज वाले क्षेत्रों और छोटे गांवों में खेती में परिवर्तन लाया जा सके.
रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 27.94 लाख एकड़ भूमि और 10.5 लाख से अधिक किसानों को इस योजना में शामिल किया गया है, जिनमें 1.95 लाख महिला किसान शामिल हैं. आईटीसी के 'जलवायु स्मार्ट कृषि' कार्यक्रम से किसानों को फायदा होगा. आईटीसी के पास 'जलवायु स्मार्ट गांव' (सीएसवी) भी है. सीएसवी कार्यक्रम के तहत, गांव की अधिकांश आबादी को जलवायु जोखिमों के अनुकूल होने में सहायता प्रदान की जाती है,
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रमुख फसल मूल्य श्रृंखलाओं को कवर करने वाले 6,755 सीएसवी वर्तमान में कार्यक्रम का हिस्सा हैं. जलवायु जोखिमों से निपटने में किसानों को अतिरिक्त सहायता प्रदान करने के लिए, छह प्रमुख सरकारी योजनाओं के साथ किसानों के लिए 15.24 लाख लिंकेज की सुविधा प्रदान की गई. आईटीसी, भारतीय मिलेट अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के साथ भागीदारी करके मोटे अनाजों की खेती में लगे एफपीओ को भी बढ़ावा दे रहा है.
वर्ष के दौरान, 12 लाख से अधिक किसानों को क्षेत्र की प्रमुख फसलों के लिए अभ्यास के पैकेज के साथ-साथ पशुधन प्रबंधन पर ट्रेंड किया गया, जिसके परिणामस्वरूप 44 लाख से अधिक किसानों से बातचीत हुई. इसी तरह, सरकार ने साझेदारी की प्रारंभिक अवधि के दौरान 1,350 गांवों में आईटीसी द्वारा प्रदर्शित गतिविधियों के आधार पर 8,000 मॉडल गांवों पर भी काम शुरू किया है.
अनुमान है कि कार्यक्रम के अंतर्गत आने वाले स्थानों में कपास, मक्का, धान और सोयाबीन की उपज में 30 प्रतिशत तक सुधार हुआ है, साथ ही, खेती की लागत में लगभग 15 प्रतिशत की कमी आने का अनुमान है, जिसके परिणामस्वरूप किसानों की आय में 60 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है.
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