काला नमक चावल अपनी विशेष महक और स्वाद के चलते पूरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान है. इस चावल का इतिहास भी बौद्ध कालीन है. काला नमक चावल को लेकर महात्मा बुद्ध से जुड़ी हुई एक कहावत भी प्रचलित है जिसके अनुसार वे बोधगया से ज्ञान प्राप्ति के बाद जब कपिलवस्तु लौट रहे थे तो रास्ते में मौजूद सिद्धार्थनगर जिले के बगहा गांव में रुके. जब वह वहां से अगले रोज चलने लगे तो उन्होंने गांव के किसानों को अपनी झोली से मुट्ठी भर धान दिया और कहा कि इस खेतों में लगाए. इसकी खुशबू हमेशा हमारी याद दिलाती रहेगी. यही से काला नमक धान की खेती का सिलसिला शुरू हुआ. इसीलिए काला नमक चावल को बुद्ध का महाप्रसाद भी माना गया है. सिद्धार्थनगर जनपद का यह मुख्य उत्पाद है. इसी वजह से उत्तर प्रदेश सरकार ने ओडीओपी के अंतर्गत काला नमक चावल को शामिल किया है. फिलहाल काला नमक चावल को विशिष्ट दर्जा दिलाए जाने के लिए जिले के ही रहने वाले भाजपा से राज्यसभा सांसद पूर्व आईपीएस अधिकारी बृजलाल ने भी मांग की है.
काला नमक चावल को बौद्ध कालीन चावल के नाम से जाना जाता है. इसीलिए भगवान बुद्ध का महाप्रसाद भी इस चावल को कहा गया है. इसी वजह से बौद्धिक धर्म को मानने वाले देशों में काला नमक चावल की विशेष मांग भी है. काला नमक चावल का जिक्र चीनी यात्री व्हेन सॉन्ग ने अपनी यात्रा वृतांत में भी किया है. काला नमक चावल महात्मा बुद्ध की क्रीड़ास्थली कपिलवस्तु के बाद सिद्धार्थनगर जिले को विश्व पटल पर अब एक नई पहचान दे रहा है. यह चावल गोरखपुर के तराई इलाके में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है. सिद्धार्थनगर जनपद का मुख्य उत्पाद है. वर्तमान में यह चावल उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर ,संत कबीर नगर ,गोरखपुर, महाराजगंज, गोंडा ,बस्ती और कुशीनगर में उगाया जाता है.
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हर चावल की अपनी एक विशेष खासियत होती है उसका स्वाद भी अलग होता है. यहां तक की चावल में सेहत से जुड़े हुए कई तरह के फायदें भी हैं. काला नमक चावल का इतिहास 600 ईसा पूर्व तक जाता है. सेहत के लिहाज से काला नमक चावल की मांग पूरे विश्व में तेजी से बढ़ रही है. इस चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स काफी कम है जिसके चलते इसे मधुमेह के रोगी भी खा सकते हैं. इसके नियमित सेवन से अल्जाइमर जैसी बीमारी से भी बचाव होता है. इस चावल में विटामिन ए भी पाया जाता है.
उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में काला नमक का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है. 2017 तक जिले में 2500 हेक्टेयर भूमि पर इसका उत्पादन होता था लेकिन वर्तमान में काला नमक चावल का उत्पादन 15000 हेक्टेयर पर होने लगा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने काला नमक चावल की सुगंध को देश-विदेश तक पहुंचाने के उद्देश्य से इसे ओडीओपी में शामिल किया है. काला नमक चावल फिलहाल अमेजॉन फ्लिपकार्ट जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध है. इसे बुद्धा राइस या बुद्ध बायसन के नाम से भी बचा जा रहा है. फिलहाल खुले बाजार में काला नमक चावल की कीमत 110 से 120 रुपए प्रति किलो है. वहीं ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर यह 160 से ₹200 किलो के भाव में बेचा जा रहा है. भाजपा की राज्यसभा सांसद पूर्व आईपीएस बृजलाल ने बताया कि काला नमक चावल को विशिष्ट दर्जा दिए जाने की मांग की है जिसके चलते नान बासमती राइस के निर्यात पर लगी रोक के नुकसान से बचा जा सके. इस चावल का विदेश में भरपूर डिमांड है. विशेष दर्जा मिलने से यहां की किसानों की किस्मत बदल जाएगी. वह इसके लिए राज्यसभा में भी सवाल उठा चुके हैं. उन्हें उम्मीद है कि साल 2024 में काला नमक चावल को लेकर उनकी मांग पर सरकार जल्द ही फैसला करेगी.