Farmer Protest: प्याज पर फिर आंदोलन, इस बार अड़ गए किसान, सांसद से विधायक तक सब...

Farmer Protest: प्याज पर फिर आंदोलन, इस बार अड़ गए किसान, सांसद से विधायक तक सब...

किसानों ने कहा है कि उनकी केंद्र स्तर की है और जब तक उनकी केंद्रीय कृषि मंत्री से नहीं होती, तब तक वह ट्रैक के पास से नहीं हटेंगे. मौके पर किसानों को मनाने आए सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने प्रदेश के कृषि मंत्री इंदल सिंह कंसाना से फोन पर बात कराई. लेकिन, विरोध कर रहे किसान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से बात करने पर अड़े रहे.

प्याज के किसान बेहालप्याज के किसान बेहाल
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Nov 17, 2025,
  • Updated Nov 17, 2025, 11:41 AM IST

मध्‍य प्रदेश के खंडवा में रविवार को स्वंतत्र किसान जन आंदोलन के तहत जिले के हजारों किसान जुटे. ये किसान भुसावल रेलवे ट्रैक के टिगरिया में पहुंचे थे और ट्रैक से महज 500 मीटर की दूरी पर किसानों का जमावड़ा लगा था. किसानों का कहना है कि अगर हमारी मांगे पूरी नहीं होती है तो हम रेल रोको आंदोलन करेंगे. मौके पर सांसद सहित दो विधायकों को भी बुलाया गया और केंद्रीय कृषि मंत्री के नाम सांसद को ज्ञापन भी दिया गया. आंदोलन में आए किसानों ने प्याज के निर्यात को शुरू करने, महाराष्‍ट्र की तरह पर प्रति एकड़ 24 रुपए किलो पर खरीदे जाने, सोयाबीन की फसल के लिए मुआवजा, मक्का का सही दाम और कपास को CCI की तरफ से खरीदने की मांग की है. 

शिवराज सिंह चौहान से करनी है बात 

किसानों ने इसके अलावा एक और विकल्‍प सुझाया है जिसके तहत उन्‍होंने 50 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से फसल नुकसानी का मुआवजा देने की बात कही है. सोयाबीन की राहत राशि भी सभी किसानों को एक साथ दिए जाने की मांग किसानों की तरफ से की गई है. इसके साथ ही किसानों की मांग है कि मक्का की उपज को उचित दामों पर खरीदा जाए. किसानों ने कहा है कि उनकी केंद्र स्तर की है और जब तक उनकी केंद्रीय कृषि मंत्री से नहीं होती, तब तक वह ट्रैक के पास से नहीं हटेंगे. मौके पर किसानों को मनाने आए सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने प्रदेश के कृषि मंत्री इंदल सिंह कंसाना से फोन पर बात कराई. लेकिन, विरोध कर रहे किसान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से बात करने पर अड़े रहे. इस दौरान सांसद ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री कार्यक्रम में व्यस्त हैं और अभी उनसे बात नहीं हो सकती है. इस पर किसानों ने सांसद को दो घंटे का समय दिया और कहा कि अगर बात नहीं हुई और केंद्रीय मंत्री से कोई भरोसा नहीं मिला तो वह रेलवे लाइन जाम कर देंगे. 

24 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदे प्‍याज 

किसान नेता सुभाष पटेल ने कहा, 'किसानों को सोयाबीन फसल की राहत राशि नहीं मिली है और प्याज की फसल का मंडी में कोई भाव नहीं है. प्याज उखाड़कर खेत से मंडी ले जाते है तो पैसे जेब से लग रहे है. बहरी सरकार को सुनाने के लिए इतने किसान यहां इकठ्ठा हुए है. हमारी मांग है कि या तो निर्यात खोले या फिर 24 रुपये किलो के भाव से प्याज किसानों से खरीदे. हमें जो लागत लगी है वो भी मिले.' उनका कहना था कि किसान शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे है और अगर केंद्र सरकार तक बात नहीं पहुंची तो फिर वो रेलवे ट्रेक पर आंदोलन शुरू कर देंगे. सुभाष पटेल के अनुसार उनकी बात राज्‍य के कृषि मंत्री कंसाना जी से करवाई गई है और उन्‍होंने उन्‍हें खंडवा आने का भरोसा दिया है. कंसाना ने कहा है कि वह खुद किसानों के साथ बैठकर चर्चा करेंगे. उन्‍होंने चेतावनी दी कि अगर मुख्य्मंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री से बात कराई जाती है और कोई बात बनती है तो ठीक वर्ना किसान अपनी लड़ाई लड़ने को स्वतन्त्र हैं. 

सांसद बोले, एकदम से फैसला संभव नहीं 

मामला गरमाया तो क्षेत्रीय सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल और खण्डवा और पंधाना विधायक कंचन तनवे और छाया मोरे किसानों से बात करने के लिए पहुंचे. यहां किसान किसी सतही समाधान पर सहमत नहीं थे और उनका गुस्‍सा गहरा गया. इस बीच जब सांसद पाटिल ने भाजपा सरकार के किसान हितैषी कार्यो को गिनाना शुरू किया तो किसान और नाराज हो गए. किसानों ने साफ कर दिया है कि उन्हें उनकी फसल का उचित मूल्य मिलना चाहिए और अगर ऐसा नहीं हुआ तो वो आंदोलन के लिए और कड़ा रुख अपनाएंगे. इस बीच सांसद पाटिल ने प्रदेश के कृषि मंत्री इंद्रजीत कसाना से बात कराई तो किसान नेताओं ने दो टूक कह दिया कि प्याज के निर्यात का विषय केंद्रीय कृषि मंत्री का है वे बात करके समाधान निकालेंगे तो ही वे मानेंगे. वहीं सांसद का कहना हे कि वह किसानों के साथ हैं लेकिन कोई भी निर्णय एकदम से संभव नहीं है.

शिवराज से नाराज 'लाडली बहना' 

किसानों के आंदोलन को देखते हुए गांव में और रेलवे ट्रैक के करीब बड़ी तादाद में पुलिस बल तैनात किया गया है. आंदोलन की जगह से लेकर रेलवे पटरी तक पुलिस द्वारा बैरिकेडिंग लगाकर रास्ते बंद किए गए हैं. इस आंदोलन में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हो गई हैं. ऐसे में अब इन्हे संभालना प्रशासन के लिए भी मुश्किल हो रहा है. यह पहली बार है कि जो महिलाएं कभी मुख्‍यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान की तारीफ लाडली बहना योजना की वजह से करते नहीं थकती थी अब वही अपनी फसलों की बर्बादी को लेकर फिर कृषि मंत्री शिवराज से गुहार लगा रही हैं.   

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