Onion: यदि मॉनसून आने में 15 दिन देरी हो तो प्याज पर क्या असर होगा? कैसे करें इसकी खेती?

Onion: यदि मॉनसून आने में 15 दिन देरी हो तो प्याज पर क्या असर होगा? कैसे करें इसकी खेती?

बढ़ते दाम को रोकने के लिए सरकार ने प्याज के एक्सपोर्ट पर दिसंबर 2023 में प्रतिबंध लगा दिया. इस तरह मॉनसून की देरी दाम पर बड़ा असर डालती है.प्याज की खरीफ फसल मुख्य रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और राजस्थान के कुछ भागों में उगाई जाती है.

प्याज़ की खेती
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 02, 2024,
  • Updated Apr 02, 2024, 7:07 PM IST

बीते साल यानी 2023 में मॉनसून में देरी की वजह से प्याज की खेती शुरू होने में लगभग एक महीने की देरी हो गई थी. किसान इंतजार करते रह गए जिसकी वजह से खरीफ सीजन की फसल आने में देर हो गई. जिससे प्याज महंगा होने लगा. बढ़ते दाम को रोकने के लिए सरकार ने प्याज के एक्सपोर्ट पर दिसंबर 2023 में प्रतिबंध लगा दिया. इस तरह मॉनसून की देरी दाम पर बड़ा असर डालती है. लेकिन खेती की बात करें तो किसानों को भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता ह.

प्याज में सिर्फ खरीफ फसल (20 फीसदी क्षेत्र) वर्षा पर निर्भर है. रबी प्याज, जो की मुख्य फसल है (इसमें 60 फीसदी क्षेत्र) कवर होता है. पछेती खरीफ प्याज (20 फीसदी क्षेत्र) कवर होता है और यह सिंचित फसलों के रूप में उगाय जाता है.  इस प्रकार, सूखा या वर्षा की कमी मुख्य रूप से खरीफ फसल को प्रभावित करता है. प्याज की खरीफ फसल मुख्य रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और राजस्थान के कुछ भागों में उगाई जाती है.  

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मॉनसून आने में 15 दिन की देरी हो तो क्या करें

नर्सरी स्थापना बारिश में मुश्किल है, इसलिए जब मॉनसून आने में देरी होती है तब नर्सरी स्थापना आसान हो जाता है, लेकिन रोपाई के तुरंत बाद पानी की जरूरत पड़ती है. इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों ने कुछ सुझाव दिए हैं.

1. व्यापक अनुकूलन क्षमता वाली किस्में जैसे (खरीफ और पछेती खरीफ दोनों के लिए उपयुक्त) भीमा सुपर, भीमा राज, भीमा रेड, भीमा शुभ्रा एग्रीफाउंड डार्क रेड, अर्का कल्याण, अर्का प्रगति, बसवंत 780 और फुले समर्थ लगाई जा सकती हैं.

 2. पौधशाला जून के दूसरे सप्ताह में लगाई जा सकती है, जिससे 35-50 दिनों की पौध प्रत्यारोपित की जा सके.

3. टपक और फव्वारा सिंचाई प्रणाली के साथ उठे हुए सतह पर पौध उगाएं ताकि विवेकपूर्ण तरीके से सिंचाई के पानी का उपयोग किया जा सके. अगर टपक सिंचाई सुविधा उपलब्ध नहीं है, तब फव्वारे से पानी के छिड़काव द्वारा सिंचाई की जा सकती है.

4. न्यूनतम 3-4 सिंचाई पौधशाला में दिए जाने की जरूरत है. पौध को आंशिक छाया प्रदान करने वाले जाल द्वारा संरक्षित किया जाना चाहिए.

6. वाष्पीकरण कम करने के लिए बीज अंकुरण तक गीली घास (धान के पुआल) का प्रयोग किया जाना चाहिए.

8. अच्छी पौथ का विकास नहीं होने की स्थिति में, पानी में घुलनशील एनपीके उर्वरक (19:19:19 एनपीके 5 ग्रा./लि.) का पत्तों पर छिड़काव से वे जल्दी ठीक हो जाते हैं.

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