भारत में सबसे ज्यादा खाई जाने वाली दालों में से एक अरहर (तूर) की कीमत आसमान पर पहुंच गई है. इसका थोक भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 3668 रुपये अधिक हो गया है. नतीजा यह है कि रिटेल भाव उपभोक्ताओं की दाल पतली कर रहा है. केंद्र सरकार ने तूर का एमएसपी 7000 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है, जबकि 11 अगस्त को इसका ओपन मार्केट में भाव 10668.09 रुपये प्रति क्विंटल रहा. तीन साल पहले 2021 में इसी दिन थोक दाम सिर्फ 5989.29 रुपये क्विंटल था. यानी तीन साल में ही अरहर के दाल के थोक दाम में 78.11 फीसदी का इजाफा हो चुका है. अगर इसकी खेती का विस्तार नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में दाम और बढ़ सकते हैं.
उधर, उपभोक्ता मामले मंत्रालय के प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन के अनुसार 11 अगस्त को देश में अरहर दाल का अधिकतम रिटेल प्राइस 195 रुपये प्रति किलो जबकि न्यूनतम दाम 130 रुपये प्रति किलो रहा. अरहर दाल का दाम बहुत तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि इसके लिए हमें आयात पर निर्भर रहना पड़ रहा है. खेती कम हो रही है. इसीलिए पिछले तीन साल में ही इसके दाम में प्रति क्विंटल 4679 रुपये का इजाफा हो चुका है.
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भारत में हर साल लगभग 46 लाख टन अरहर दाल की खपत होती है, जबकि इसका उत्पादन 2023-24 में सिर्फ 34 लाख टन ही रह गया है. डिमांड और सप्लाई में करीब 12 लाख टन का अंतर है. इस गैप की वजह से तूर दाल के दाम में तेजी से इजाफा हो रहा है, क्योंकि हमें इसका आयात करना पड़ रहा है. केंद्र सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक 2023-24 में भारत ने 47.39 लाख टन दालों का आयात किया, जिसमें अरहर की भी हिस्सेदारी अहम थी.
अब सबकी नजर इस साल होने वाली दलहन फसलों की बुवाई पर टिकी हुई है. देश में अरहर फसलों की बुवाई का क्षेत्र लगभग 47 लाख हेक्टेयर है. इस साल 2 अगस्त तक अरहर की बुवाई 41.89 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 8.63 लाख हेक्टेयर ज्यादा है. यह सुखद है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल अरहर की बुवाई अच्छी है.
अगर एरिया 47 लाख हेक्टेयर या उससे अधिक हुआ और मौसम अनुकूल रहा तो अरहर के दाम बढ़ने की रफ्तार पर अगले वर्ष तक ब्रेक लग सकता है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो अरहर दाल की और कीमत चुकाने के लिए उपभोक्ताओं को तैयार रहना होगा.
विश्व में दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक भारत है. इसके बावजूद हमारे यहां इसकी मांग इतनी अधिक है कि हमें आयात पर निर्भर रहना पड़ता है. साल 2023-24 में दलहन आयात पर भारत ने 31,071.63 करोड़ रुपये खर्च किए. जिसमें तूर की भागीदारी भी अहम है. आयात कितनी तेजी से बढ़ रहा है उसे आंकड़ों से समझ सकते हैं.
साल 2022-23 के दौरान भारत ने 15,780.56 करोड़ रुपये की दालों का आयात किया था. यानी एक साल में ही आयात पर खर्च डबल हो गया. उधर, अप्रैल-2024 में भारत ने 6,16,683 मीट्रिक टन दालों का आयात किया है, जिस पर 3428.64 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े हैं. यह भारत में अब तक एक महीने में दाल आयात के लिए खर्च की जाने वाली सबसे अधिक रकम है.
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