
खरीफ सीजन की फसल अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है. किसानों का ध्यान अब रबी सीजन की फसलों की ओर बढ़ गया है. नवंबर की शुरुआत होते ही गेहूं, चना, सरसों, आलू और मटर जैसी रबी फसलों की बुवाई शुरू हो जाती है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस मौसम में सही फसल चयन और बीज की गुणवत्ता पर ध्यान देकर किसान अपनी आमदनी में काफी इजाफा कर सकते हैं.
अक्टूबर के अंत और नवंबर के शुरू होते ही किसानों के खेतों में रबी फसलों की बुवाई की हलचल दिखाई देने लगती है. खरीफ फसल की कटाई के बाद किसान नई उम्मीदों के साथ रबी सीजन की ओर बढ़ते हैं. इस समय सबसे बड़ा सवाल यह होता है कि कौन सी फसल बोई जाए जिससे लागत कम और मुनाफा ज्यादा हो. मौसम की बदलती परिस्थितियों और बाजार की मांग को ध्यान में रखते हुए कृषि विशेषज्ञ पारंपरिक और वैकल्पिक फसलों दोनों पर ध्यान देने की सलाह देते हैं.
गेहूं भारत की प्रमुख रबी फसल है और इसे देश की खाद्य सुरक्षा की रीढ़ माना जाता है. नवंबर का महीना गेहूं की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त होता है. अच्छी पैदावार के लिए किसान पूसा यशस्वी, करण वंदना और डीडीडब्ल्यू 47 जैसी उन्नत किस्मों को प्राथमिकता दे सकते हैं.
चना रबी सीजन की सबसे महत्वपूर्ण दलहनी फसल है. मध्य प्रदेश देश का सबसे बड़ा चना उत्पादक राज्य है, विशेषकर सतना और रीवा जिले में इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है. चना की पूसा-256 और गुजरात चना-4 जैसी किस्में उच्च उत्पादन देने में कारगर मानी जाती हैं.
सरसों भारत की प्रमुख तिलहनी फसल है जो रबी सीजन में किसानों को अच्छा लाभ देती है. हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और बघेलखंड क्षेत्र के किसान सरसों की खेती को अपना रहे हैं. इसका तेल, खली और पत्ते बाजार में अच्छी मांग रखते हैं.
आलू रबी सीजन की सबसे लोकप्रिय सब्जी फसल है. इसकी बुवाई अक्टूबर से नवंबर के बीच होती है. सतना और आसपास के क्षेत्रों में किसान कुफरी चिप्ससोना और राजेंद्र आलू जैसी किस्मों से अच्छी पैदावार पा रहे हैं. आलू की खेती में मिट्टी का चयन बहुत जरूरी होता है.
मटर किसान को सब्जी और दाल दोनों रूपों में लाभ देती है. यह फसल 6 से 7.5 पीएच वाली दोमट मिट्टी में अच्छी तरह पनपती है. मटर की आर्केल, लिंकन और पूसा प्रभात किस्में उत्तर भारत के मौसम के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं.
रबी सीजन किसानों के लिए नई शुरुआत लेकर आता है. सही फसल चयन, गुणवत्तापूर्ण बीज, सिंचाई प्रबंधन और समय पर बुवाई पर ध्यान देने से किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं. नवंबर का महीना खेती की दिशा तय करने वाला महीना है, इसलिए इस समय सही निर्णय लेना लाभकारी साबित होता है.
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