केंद्र सरकार द्वारा प्याज पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने और दो एजेंसियों द्वारा बाजार भाव से कम दाम पर प्याज बेचने की वजह से किसानों की जेब पर बुरा असर पड़ रहा है. किसानों को प्रति क्विंटल कम से कम 1000 से 1500 रुपये का नुकसान हो रहा है. सरकार उपभोक्ताओं का ध्यान रखने के लिए किसानों का नुकसान कर रही है. महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि किसानों को जान बूझकर आर्थिक नुकसान पहुंचाना ठीक नहीं है. क्योंकि अगर उन्होंने खेती बंद कर दी तो दूसरे से इसे आयात करने पर मजबूर होना पड़ेगा. जो घाटा सरकार की वजह से हो रहा है किसान उसका हिसाब चुनाव में।लेंगे.
किसान तक लाइव में दिघोले ने कहा कि प्याज का दाम जब 6000 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा हो जाए तब आप बाजार में हस्तक्षेप करिए तो बात समझ में भी आएगी. लेकिन यहां तो सरकार ने प्याज को 1500 से 2000 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंचते ही दो ऐसे काम कर दिए कि किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया. अभी भाव बढ़ रहा था तो उम्मीद थी दो साल से लगातार हो रहे घाटे की कुछ पूर्ति होगी, लेकिन बीच में सरकार आ गई और फिर से दाम गिर गया.
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दिघोले का कहना है कि सरकार की दो नीतियों के कारण किसानों को नुकसान हुआ है. क्योंकि मंडी में भाव कम हो गए. केंद्र सरकार ने अगस्त में प्याज पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दी थी. इसके बाद एक्सपोर्ट में कमी आ गई जिससे घरेलू बाजार में ज्यादा प्याज हो गया और मंडी में दाम गिर गया. इसके बाद नफेड और नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनसीसीएफ) से सरकार बाजार रेट के मुकाबले सस्ता प्याज बिकवा रही है. इसके कारण भी किसानों को नुकसान हो रहा है.
देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक महाराष्ट्र है. कुल उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 43 फीसदी है. दिघोले का कहना है कि सरकार को महंगाई कम करनी है तो किसानों का नुकसान करके यह काम न करे. बल्कि वो उन बिचौलियों का अधिकतम मुनाफा तय करे जो चार-पांच गुना दाम पर उपभोक्ताओं को प्याज बेचते हैं. किसान के घर से जितने में प्याज गया है उससे डबल दाम से अधिक पर उपभोक्ताओं को न मिले. यह तय हो तो महगांई नहीं बढ़ेगी. महंगाई बढ़ाने के जिम्मेदार किसान नहीं हैं. साथ ही लागत के अनुसार किसानों के प्याज का न्यूनतम दाम तय हो. उससे कम पर उसकी नीलामी न हो.
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