गर्म मौसम और तेज लू-लपट चलने की भविष्यवाणी के बीच चिंतित किसानों को जुलाई-जून सीजन में आम की अच्छी पैदावार पाने के लिए सावधानी बरतनी होगी. इस साल आम के उत्पादन में 14 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान जताया जा रहा है. हालांकि, गर्मी और मौसम के विपरीत असर को लेकर आम उत्पादक परेशान हैं. उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए ICAR-CISH ने गाइडलाइन जारी की है. इसमें आम की पैदावार पर गर्मी के बुरे असर की आशंकाओं को नकारा गया है. लेकिन, किसानों को सावधानी बरतने की हिदायत दी गई है.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- केंद्रीय उपोष्णकटिबंधीय बागवानी संस्थान (ICAR-CISH) के निदेशक टी दामोदरन ने कहा कि इस साल भारत का कुल आम उत्पादन लगभग 14 प्रतिशत बढ़कर 24 मिलियन टन होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि भारत मौसम विज्ञान विभाग के अप्रैल-मई अवधि में लू चलने के पूर्वानुमान का आम की पैदावार पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा. बशर्ते किसान फलों के अत्यधिक गिरने को रोकने के लिए मई माह के दौरान सिंचाई पर खास ध्यान दें.
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अपने ताजा ग्रीष्मकालीन पूर्वानुमान में गर्मी की तेज लपट चलने की भविष्यवाणी की है, जो सामान्य रूप से दो से चार दिनों के बजाय 10-20 दिनों के बीच चल सकती है. दक्षिण प्रायद्वीप के अधिकांश हिस्सों, मध्य भारत, पूर्वी भारत और उत्तर-पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में सामान्य से अधिक गर्मी वाले दिन रहने का अनुमान जताया गया है.
CISH के निदेशक टी दामोदरन ने पीटीआई को बताया कि आम में फूल आने की प्रक्रिया फल लगने के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि अनुकूल मौसम रहने के चलते आम में फूल आना पूरा हो गया है और परागण सामान्य है, जिससे फल लगने शुरू हो गए हैं. उन्होंने कहा कि सामान्य गर्मी की लपट आम की पैदावार को प्रभावित नहीं करेंगी. आम की फसल की संभावनाएं अभी अच्छी हैं.
टी दामोदरन ने कहा कि 2023-24 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में कुल उत्पादन बढ़कर 24 मिलियन टन हो सकता है, जबकि 2022-23 में उत्पादन आंकड़ा 21 मिलियन टन दर्ज किया गया था. दक्षिण भारत में बंपर आम का उत्पादन देखा जा रहा है, जो देश के कुल उत्पादन में 50 प्रतिशत का योगदान देता है. पिछले साल मौसम की गड़बड़ी के कारण दक्षिणी राज्यों को 15 प्रतिशत नुकसान का सामना करना पड़ा था. हालांकि, इस साल स्थिति बेहतर है.