
रबी का मौसम शुरू होते ही किसान गेहूं की बुआई की तैयारी में जुट गए हैं. खेत जोतना, मिट्टी तैयार करना और सही बीज चुनना, ये सभी ऐसे काम हैं जिन पर किसान इस समय सबसे ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं. किसान अक्सर पुरानी किस्मों पर ही निर्भर रहे हैं, लेकिन अब कृषि वैज्ञानिक सलाह दे रहे हैं कि मॉडर्न टेक्नोलॉजी के साथ बेहतर किस्मों का इस्तेमाल करके किसान कम मेहनत में ज़्यादा पैदावार पा सकते हैं. इसके लिए, कृषि विज्ञान केंद्र और कृषि विभाग ने गेहूं की दो खास किस्मों-DSW और DW गेहूं-की सलाह दी है.
एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के अनुसार, DSW और DW गेहूं की दोनों वैरायटी आज की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं. सबसे ज़रूरी बात यह है कि ये वैरायटी कम बारिश या कम सिंचाई वाले इलाकों में भी अच्छी तरह उगती हैं. अगर मिट्टी कम उपजाऊ है या ज़मीन थोड़ी बंजर है, तो भी किसान इन वैरायटी से बेहतर पैदावार पा सकते हैं.
इन वैरायटी में बीमारियों से लड़ने की ताकत भी ज़्यादा होती है, जिससे फसल खराब होने का खतरा बहुत कम हो जाता है. ये वैरायटी बार-बार मौसम बदलने, पाले, फंगस और कीड़ों के लगने से भी काफी हद तक सुरक्षित रहती हैं. इससे किसानों को ज़्यादा खाद या एक्स्ट्रा खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती.
इस बार किसानों के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि ये बेहतर किस्में बाज़ार की कीमत से लगभग 50% कम कीमत पर मिल रही हैं. ये बीज ज़िले के सभी सरकारी PACS (पंचायत प्लांटेशन और सॉइल प्रोसेसिंग यूनिट्स) में बांटे जा रहे हैं, ताकि छोटे और मीडियम साइज के किसान भी इन्हें आसानी से खरीद सकें. लोकल बाज़ारों में DSW और DW गेहूं की डिमांड भी बढ़ रही है, जिससे किसानों को बिना किसी मुश्किल के बीज मिल रहे हैं.
ये दोनों किस्में जल्दी पकने वाली हैं, इनकी खेती में कम लागत आती है और सिंचाई की भी कम ज़रूरत होती है. जिन किसानों के पास पानी कम है, वे भी इन किस्मों को अपनाकर अपनी पैदावार बढ़ा सकते हैं.
एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट का मानना है कि सिर्फ़ बेहतर बीजों से ही पैदावार नहीं बढ़ती; समय पर बुआई, बैलेंस्ड खाद और मॉडर्न टेक्नोलॉजी अपनाना भी उतना ही ज़रूरी है. इसके लिए, डिपार्टमेंट रेगुलर तौर पर ब्लॉक लेवल पर ट्रेनिंग प्रोग्राम, कंसल्टेशन कैंप और बीज बांटने के कैंप लगा रहा है. इन कैंप में किसानों को बीज ट्रीटमेंट, खाद मैनेजमेंट, सिंचाई की तकनीक और मिट्टी की जांच के महत्व के बारे में बताया जाता है.
एग्रीकल्चर साइंटिस्ट का मानना है कि अगर किसान सही तरीके से नई बेहतर किस्मों को अपनाएं, तो पैदावार में 20-30% तक की बढ़ोतरी हो सकती है. मिट्टी की क्वालिटी कैसी भी हो, किसान इन किस्मों की सही देखभाल करके अपनी पैदावार दोगुनी कर सकते हैं.
DSW और DW गेहूं जैसी मॉडर्न किस्मों ने आज किसानों के लिए एक सुनहरा मौका दिया है. कम लागत, कम पानी, कम मेहनत, और बंजर ज़मीन में भी बेहतर पैदावार-ये सभी खूबियां उन्हें खास बनाती हैं. ऐसे समय में जब खेती का खर्च बढ़ रहा है और मौसम का अंदाज़ा लगाना मुश्किल होता जा रहा है, ये किस्में किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती हैं. सही गाइडेंस और साइंटिफिक तरीकों से किसान इस रबी सीजन में अपनी गेहूं की फसल से अच्छी कमाई कर सकते हैं.
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