अप्रैल महीने की शुरुआत के साथ ही लीची के मंजर का फल में परिवर्तन शुरू हो चुका है. इसके साथ ही, लीची से जुड़े व्यापार और कंपनियां धीरे-धीरे किसानों से संपर्क स्थापित कर रही हैं. इस वर्ष अब तक शाही लीची की फसल से किसान संतुष्ट नजर आ रहे हैं और उन्हें बेहतर बाजार मिलने की उम्मीद है. इस बार कुछ नई कंपनियां भी लीची के कारोबार में प्रवेश करने की मंशा से मुजफ्फरपुर पहुंच चुकी हैं. इसके अलावा, विभिन्न राज्यों और शहरों में लीची भेजने के लिए संबंधित संगठन रेलवे और एयरपोर्ट अधिकारियों के साथ लगातार बात कर रहे हैं.
गौरतलब है कि बिहार सहित देश के अन्य राज्यों में भी लीची की खेती होती है, लेकिन मुजफ्फरपुर की शाही और चाइना लीची अपने विशिष्ट स्वाद के कारण अधिक लोकप्रिय है. यही कारण है कि इसकी मांग लीची प्रेमियों के बीच बनी रहती है. मुजफ्फरपुर में लगभग 12,000 हेक्टेयर भूमि पर लीची की खेती होती है, जबकि पूरे बिहार में यह आंकड़ा लगभग 30,000 हेक्टेयर के आसपास है. राज्यभर में कुल 3 लाख टन लीची का उत्पादन होता है, जिसमें से लगभग 1 लाख टन उत्पादन अकेले मुजफ्फरपुर से होता है.
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बिहार लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा सिंह ने बताया कि दूसरे राज्यों में लीची की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने को लेकर रेलवे के सोनपुर मंडल के अधिकारियों के साथ बैठक की गई. बैठक में मुंबई भेजने के लिए प्रतिदिन एक पार्सल वैन(सामान रखने वाला बोगी) उपलब्ध कराने का आश्वासन मिला है. वहीं, दरभंगा एयरपोर्ट के अधिकारियों से भी मुलाकात कर टीएसपी दर में कटौती, मुंबई के लिए सुबह की उड़ान को दोपहर में करने और लीची को सुरक्षित रखने के लिए आधारभूत संरचना विकसित करने पर चर्चा की गई है.
बच्चा सिंह ने कहा कि मुजफ्फरपुर के किसानों से लीची कारोबार से जुड़ी कंपनियां संपर्क कर रही हैं. कुछ नई कंपनियां, जैसे विग्रो, लीची के व्यवसाय में प्रवेश करने की इच्छुक हैं. वहीं, सुपर प्लम, देहात, टोकरी जैसी कंपनियां फिर से लीची के व्यापार को गति देने के लिए तैयार हैं. इसके अलावा, मुंबई, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के व्यापारी भी मुजफ्फरपुर पहुंचकर किसानों से मुलाकात कर रहे हैं और उनके बगीचों का निरीक्षण कर रहे हैं.
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मौसम विभाग ने अप्रैल में सामान्य से अधिक गर्मी पड़ने की संभावना जताई है. हालांकि, किसान और बिहार लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा सिंह का कहना है कि अब तक मार्च का महीना लीची के लिए अनुकूल रहा है. यदि अप्रैल में तेज आंधी और अत्यधिक गर्मी नहीं पड़ती है, तो फसल को किसी प्रकार का नुकसान होने की आशंका नहीं है. फिलहाल, मौसम लीची के लिए अनुकूल बना हुआ है, लेकिन आने वाला समय और मौसम की स्थिति ही इसके भविष्य का निर्धारण करेगी.