भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी कि IMD ने कहा है कि शनिवार को मध्य प्रदेश के भोपाल, राजगढ़, नर्मदापुरम, हरदा, बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, इंदौर, देवास, शाजापुर, आगरमालवा, मुरैना, श्योपुरकलां, ग्वालियर जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है. साथ ही बिजली चमकने के साथ आंधी की संभावना है. आईएमडी ने अपने पूर्वानुमान में कहा कि विदिशा, रायसेन, सीहोर, बैतूल, गुना, अशोकनगर, शिवपुरी, दतिया, कटनी, जबलपुर, छिंदवाड़ा, मंडला, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी जिलों में भी भारी बारिश होने की संभावना है.
बिगड़ते मौसम को देखते हुए आईएमडी ने किसानों के लिए फसल एडवाइजरी जारी की है. इसमें कहा गया है कि चावल, अरहर, उड़द, मूंग, मक्का, सोयाबीन, सब्जियों और बगीचों से अतिरिक्त पानी निकालने की व्यवस्था करें. उर्वरक और रासायनिक छिड़काव को रोक कर रखें. रासायनिक दवाओं और कीटनाशकों का छिड़काव तभी करें जब कम से कम 4 घंटे तक बारिश की संभावना न हो. नए लगाए गए फलों की फसलों को गिरने से बचाने के लिए यांत्रिक सपोर्ट दें. खरीफ फसलों में मौसम साफ रहने पर कुछ-कुछ काम करें. खरीफ फसलों में कीटों की लगातार निगरानी करें.
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IMD ने कहा, कुछ स्थानों पर बहुत भारी या भारी बारिश को देखते हुए, किसानों को खरीफ फसलों, बागों, सब्जियों और चावल, सब्जियों की नर्सरी से पानी निकालने की व्यवस्था करने की सलाह दी जाती है. एडवाइजरी में आईएमडी ने कहा-
रोपाई वाले चावल में 15 से 21 दिन बाद पहली बार यूरिया की टॉप ड्रेसिंग करें. 21-25 दिन पुराने चावल के पौधों की रोपाई करें और खेतों में 2 से 3 सेमी का जल स्तर बनाए रखें.
अरहर में बांझपन मोजेक रोग को फैलने से रोकने के लिए साफ मौसम में सल्फर 50% (डब्ल्यूपी) 30 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी या नीम तेल 40 मिलीलीटर को 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. अरहर में जड़ सड़न को नियंत्रित करने के लिए, कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 25 ग्राम + यूरिया 200 ग्राम + सफेद पोटाश 100 ग्राम + 10 लीटर पानी का मिश्रण तैयार करें और वर्तमान बारिश के बाद इस घोल को 100 मिलीलीटर प्रति पौधे पर छिड़कें.
किसान कपास में 25% एन, 50% पी और 50% के उर्वरक का प्रयोग करें. यदि बादल और नमी वाले मौसम के कारण रस चूसक कीट का संक्रमण हो तो 50 ग्राम वर्टिसिलियम लैकैन को 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. एक महीने पुरानी कपास की फसल में नाइट्रोजन की टॉप ड्रेसिंग करें. इसके लिए 40 किग्रा एन/हेक्टेयर सिंचित बीटी कपास के लिए, 35 किग्रा एन/हेक्टेयर सिंचित संकर कपास के लिए, 30 किग्रा एन/हेक्टेयर वर्षा वाले बीटी कपास और देसी संकर कपास के लिए, 20 किग्रा एन/हेक्टेयर देसी उन्नत किस्म के लिए साफ मौसम के दौरान इस्तेमाल करें.
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किसानों को सलाह दी जाती है कि वे सोयाबीन में मोनोकॉट/डिकोट खरपतवारों के प्रबंधन के लिए जरूरी उपाय अपनाएं. किसानों को सलाह दी जाती है कि यदि फूल आने लगें तो किसी भी प्रकार के शाकनाशी का छिड़काव न करें. सोयाबीन में खरपतवार प्रबंधन के लिए बुवाई के 20-25 दिन बाद उगने के बाद इमेजेथापायर 10% एसएल @250-300 मिली/एकड़ का छिड़काव करें.