Maharashtra Farmer: नहीं रुक रही आसमानी आफत, अब कोंकण के धान किसान खतरे में

Maharashtra Farmer: नहीं रुक रही आसमानी आफत, अब कोंकण के धान किसान खतरे में

राज्य सरकार के आंकड़ों के हवाले से बताया गया है कि कोंकण क्षेत्र में करीब 3.92 लाख हेक्टेयर (एलएच) में खरीफ फसलों की खेती होती है, जिनमें से ज्‍यादातर धान ही है. पूरे महाराष्‍ट्र में करीब 15.91 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुवाई की जाती है. यह राज्य के कुल खरीफ क्षेत्र का करीब 10.4 प्रतिशत है.

 पंजाब में पूसा-44 धान की किस्‍म बैन पंजाब में पूसा-44 धान की किस्‍म बैन
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Nov 06, 2025,
  • Updated Nov 06, 2025, 10:27 AM IST

महाराष्‍ट्र के किसानों को इस साल बारिश न जमकर नुकसान पहुंचाया है. राज्‍य के तटीय कोंकण क्षेत्र में खासतौर पर किसानों को चपत लगी है. क्षेत्र में हुई भारी बारिश ने धान की फसलों को चौपट कर दिया है. इससे खरीफ सीजन के अंत में किसानों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. शुरुआती अनुमान के अनुसार अक्टूबर के आखिर और नवंबर की शुरुआत में हुई इस बारिश से एक लाख हेक्टेयर से ज्‍यादा क्षेत्र में धान की खेती पर असर पड़ा है. 

धान की फसल में लगे कीड़े 

कोंकण क्षेत्र में सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी, रायगढ़, पालघर और ठाणे जिले आते हैं. ये क्षेत्र राज्य का प्रमुख धान उत्पादक इलाका है. किसानों ने बताया कि सुखाने के लिए रखी गई कटाई की हुई धान की फसल बारिश में या तो बह गई या फिर खराब हो गई जबकि खेतों में खड़ी फसलें पानी में डूब गईं. कई फसलें, जो कटाई के आखिरी चरण में थीं, लगातार नमी के कारण तुडतुड (प्लांट हॉपर), करपा (ब्लाइट रोग) और कडा करपा (शीथ ब्लाइट) जैसी बीमारियों और कीटों से प्रभावित हो गईं. 

बड़े हिस्‍से में होता है धान 

अखबार बिजनेसलाइन की रिपोर्ट में राज्य सरकार के आंकड़ों के हवाले से बताया गया है कि कोंकण क्षेत्र में करीब 3.92 लाख हेक्टेयर (एलएच) में खरीफ फसलों की खेती होती है, जिनमें से ज्‍यादातर धान ही है. पूरे महाराष्‍ट्र में करीब 15.91 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुवाई की जाती है. यह राज्य के कुल खरीफ क्षेत्र का करीब 10.4 प्रतिशत है. पुणे, सांगली, कोल्हापुर और नासिक जैसे अन्य जिलों में भी धान की खेती होती है. रिपोर्ट्स की मानें तो इन इलाकों में भी बारिश से नुकसान हुआ है. 

किसानों की रोजी-रोटी पर खतरा 

सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी और रायगढ़ में किसानों ने बताया कि इस बार बारिश ने जो नुकसान पहुंचाया, वह कल्‍पना से भी परे है. एक किसान ने बताया कि लगातार बारिश से लगभग सभी फसलों को नुकसान हुआ है, लेकिन धान उनकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. इस खरीफ फसल का नुकसान ग्रामीण आजीविका पर गहरा असर डालेगा. राज्य के कृषि मंत्री दत्तात्रय भारमरे ने पुष्टि की कि तटीय और आंतरिक दोनों क्षेत्रों को भारी नुकसान हुआ है. 

सरकार ने दिए सर्वे के आदेश 

उन्होंने बताया कि सरकार ने कृषि विभाग के अधिकारियों को फसलों के नुकसान का डिटेल्‍ड सर्वे करने के आदेश दिए हैं. साथ ही कहा कि प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए मुआवजा उपाय जल्द शुरू किए जाएंगे. कृषि विभाग के अनुसार, इस बार महाराष्‍ट्र में मॉनसून के दौरान औसतन 1,145.3 मिमी बारिश हुई. यह राज्‍य के सामान्य औसत बारिश का करीब  117.6 प्रतिशत है. हालांकि यह अतिरिक्त बारिश कुछ क्षेत्रों के लिए फायदेमंद रही. वहीं तटीय इलाकों में इसका गंभीर असर पड़ा जिससे हजारों धान किसान मुश्किल में आ गए हैं.

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