Heavy rain: हरियाणा के कई जिलों में भारी बारिश, कपास सहित इन फसलों को हुआ फायदा

Heavy rain: हरियाणा के कई जिलों में भारी बारिश, कपास सहित इन फसलों को हुआ फायदा

हिसार के आदमपुर ब्लॉक के चूली देसवाली गांव के किसान सतीश बेनीवाल ने बताया कि कपास, मूंगफली, बाजरा और धान समेत सभी खरीफ फसलें शुष्क गर्मी और अत्यधिक तापमान की मार झेल रही हैं. उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्षों में लगातार कपास की फसल खराब होने के कारण उन्होंने मूंगफली उगाना शुरू किया था.

बारिश से किसान हुए खुश. (सांकेतिक फोटो)बारिश से किसान हुए खुश. (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 06, 2024,
  • Updated Jul 06, 2024, 1:19 PM IST

हिसार और आसपास के जिलों में गुरुवार सुबह बारिश हुई, जिससे किसानों के चेहरे खिल गए, क्योंकि इससे धान, कपास, ग्वार, मूंगफली आदि खरीफ फसलों को फायदा होगा. हालांकि, मॉनसून की बारिश ने शहरी इलाकों को जलमग्न कर दिया है, लेकिन यह हिसार, भिवानी, फतेहाबाद, सिरसा और जींद जिलों में खरीफ फसलों के लिए वरदान साबित हुई है. किसानों ने कहा कि खरीफ फसलों, मुख्य रूप से कपास, बाजरा और धान को सिंचाई की जरूरत है. कृषि विशेषज्ञों ने कहा कि इस समय कपास की फसल को पानी की जरूरत है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, हिसार में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डॉ. कर्मल सिंह ने कहा कि अत्यधिक गर्मी के कारण प्रति एकड़ कपास के पौधों की संख्या औसतन 6,000-8,000 से घटकर औसतन 4,000 प्रति एकड़ रह गई है. अच्छी बारिश और औसत मॉनसून सीजन कपास के पौधों को पुनर्जीवित करेगा और नुकसान की कुछ हद तक भरपाई करेगा. उन्होंने कहा कि हिसार, सिरसा और फतेहाबाद जिले हरियाणा के कपास बेल्ट के रूप में जाने जाते हैं. लगातार दो बार खराब मौसम और क्षेत्र में पिंक बॉलवर्म की समस्या के कारण फसल खराब होने के कारण कई किसानों ने वैकल्पिक फसलों की ओर रुख किया है.

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गर्मी से फसल बर्बाद

हिसार के आदमपुर ब्लॉक के चूली देसवाली गांव के किसान सतीश बेनीवाल ने बताया कि कपास, मूंगफली, बाजरा और धान समेत सभी खरीफ फसलें शुष्क गर्मी और अत्यधिक तापमान की मार झेल रही हैं. उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्षों में लगातार कपास की फसल खराब होने के कारण उन्होंने मूंगफली उगाना शुरू किया था. उन्होंने कहा कि इसमें कम पानी की जरूरत होती है और पिंक बॉलवर्म का भी इस पर कम असर होता है. लेकिन जब तापमान लगातार कई दिनों तक 48 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है, तो फसल को नुकसान होता है. हालांकि, बारिश से राहत मिली है.

7 जुलाई को बारिश की संभावना

हिसार के कृषि उपनिदेशक डॉ. राजबीर सिंह ने बताया कि हाल ही में हुई बारिश का सभी खरीफ फसलों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है. हालांकि धान की फसल को अधिक सिंचाई की जरूरत है, लेकिन कपास, बाजरा और मूंगफली समेत कम पानी की जरूरत वाली खरीफ फसलें बारिश के बाद फिर से उग आई हैं. चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में कृषि मौसम विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रोफेसर एमएल खीचड़ ने कहा कि दक्षिण पश्चिम में सक्रिय मानसून के कारण 7 जुलाई तक राज्य के विभिन्न हिस्सों में बारिश की संभावना है.

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44.2 मिमी बारिश हुई

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार पिछले 24 घंटों में हिसार में औसतन 36.5 मिमी और भिवानी में 44.2 मिमी बारिश हुई है. महेंद्रगढ़ जिले में सबसे अधिक 87.4 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जबकि गुरुग्राम जिले में 1 जून से अब तक 70.8 मिमी बारिश दर्ज की गई है. आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, नूंह में भी 80 मिमी, पानीपत में 62.7 मिमी और रेवाड़ी में 58.1 मिमी बारिश हुई है.

 

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