देश में अलग-अलग दालों का कितना स्टॉक है, इसे लेकर बुधवार को खाद्य मंत्रालय ने राज्यों के साथ बैठक की. इस बैठक में राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए. बैठक में मुख्य फोकस अरहर और उड़द जैसी दालों पर रहा. देश में इन दालों की मांग अधिक है, इसलिए खाद्य सचिव रोहित कुमार सिंह ने राज्यों से इनके स्टॉक की जानकारी ली. जानकारी के जरिये पूरे स्टॉक का पता लगाया गया कि बाजार में दालों की सप्लाई का कैसा हाल रहेगा. यह बैठक इस मायने में महत्वपूर्ण रही क्योंकि हाल के दिनों में दालों के दाम में तेजी देखी गई है. अचानक दाम में कोई उछाल न आए, इसलिए सरकार समय-समय पर स्टॉक की जानकारी जुटाती रही है.
इस बैठक में आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया. एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, सरकार ने इस बैठक में राज्यों की उन कंपनियों के नुमाइंदों से बात की और उनसे स्टॉक का हाल जाना जो दालों का बिजनेस करते हैं. इस बैठक में दालों के आयातक, मिलर, स्टॉकिस्ट और ट्रेडर्स भी शामिल रहे. बातचीत में सरकार ने उस मुद्दे पर भी फोकस किया जिसमें सुधार लाने की जरूरत है.
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अभी देश में बड़ी मात्रा में दालों का आयात किया जा रहा है. दाल की खपत अधिक होने और उस हिसाब से सप्लाई नहीं होने से दाम में तेजी देखी जा रही है. यही वजह है कि पिछले महीने केंद्र सरकार ने दाल के व्यापारियों को अपने स्टॉक की जानकारी देने के लिए कहा था. बाजार में अभी भी अरहर और उड़द दाल के रेट बढ़े हुए हैं. बाजारों में इन दोनों दालों की सप्लाई सुचारू रहे, इसके लिए सरकार ने मार्च 2024 तक आयात को जारी रखने का निर्देश दिया है.
खरीफ 2022 में देश में दालों की पैदावार बहुत कम रही जिससे घरेलू बाजारों में सप्लाई पर बुरा असर रहा. इसका प्रभाव अब तक बना हुआ है जिसकी भरपाई के लिए सरकार ने दालों के आयात को मंजूरी दी. इसी क्रम में सरकार देश के अलग-अलग राज्यों के साथ बैठक कर वहां के स्टॉक की जानकारी ले रही है. इसका मकसद दालों के स्टॉक और सप्लाई के बीच के संबंध को जानना है.
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उदाहरण के लिए, किसी राज्य में दाल की जरूरत ज्यादा हो लेकिन उस हिसाब से स्टॉक न हो, तो वहां जमाखोरी बढ़ने और दाम को कृत्रिम तरीके से बढ़ाने की घटना सामने आ सकती है. इससे बचने के लिए सरकार हर तरह के एहतियाती कदम उठा रही है.
देश में तुर दाल और उड़द दाल की क्या स्थिति है, इस पर नजर रखने के लिए केंद्र सरकार ने 12 सीनियर अधिकारियों की एक टीम बनाई है जो राज्यों की राजधानी और दाल प्रधान क्षेत्रों के जिलों पर ध्यान रखेंगे. इन अधिकारियों को दाल की कंपनियां, दाल के व्यापारी, मिलर और ऑपरेटर्स से फीडबैक लेने को कहा गया है. इसी आधार पर सरकार आगे की रणनीति तय करेगी.