
खरपतवार किसी भी फसल के लिए एक बड़ी समस्या है. खरपतवार मुख्य फसल के पौधों का सारा पोषण सोख लेते हैं. ऐसे अगर सही समय पर उनको न रोका जाए तो पैदावार में गिरावट आ सकती है. ऐसी ही एक मुख्य फसल है गेहूं जिसमें गिल्ली डंडा एक मुख्य खरपतवार है, जो फसल को भारी नुकसान पहुंचाता है. गिल्ली डंडा को मंडूसी या ‘गेहूं का मामा’ भी कहा जाता है. गिल्ली डंडा के अलावा गेहूं की फसल के लिए चौड़ी पत्ती वाले (जैसे बथुआ, पालक घास और गाजर घास) और संकरी पत्ती वाले (जैसे जंगली जई और गुली डंडा) खरपतवार भी काफी खतरनाक होते हैं. इन खरपतवार की अगर रोकथाम न की जाए तो उत्पादन में 30 प्रतिशत तक गिरावट आ सकती है. ऐसे में आइए जानते हैं इन खतरनाक खरपतवार का रोकथाम कैसे करें.
अगर आपने भी गेहूं की फसल में पहली सिंचाई कर दी है और फसल में गिल्ली डंडा के पौधे दिखाई दे रहे हैं तो समय पर उसकी रोकथाम कर लें. गिल्ली डंडा में अगर 4 से 5 पत्ती दिखाई दे रही हैं तो खरपतवार नाशक का छिड़काव करें. छिड़काव पहली सिंचाई के 10 से 12 दिन के बाद करना चाहिए जब खेत में हल्की नमी हो. किसान पिनोक्साडेन 5.1% ईसी (Pinoxaden 5.1% EC) का छिड़काव करें. छिड़काव करने के लिए किसान 120 से 130 लीटर पानी में 400 ml पिनोक्साडेन 5.1% ईसी को डालकर घोल बना लें. और पूरे खेत में छिड़काव कर दें. इसका छिड़काव करने के बाद धीरे-धीरे गिल्ली डंडा के पौधों की ग्रोथ रुक जाएगी और वह सूख कर मर जाएंगे.
चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों से गेहूं की फसल को बचाने के लिए ‘मेट सल्फ्युरान मिथाइल 20%’ दवा काफी प्रभावी है. इसकी सामान्य खुराक 8 ग्राम प्रति एकड़ होती है, लेकिन जिद्दी खरपतवारों के लिए इसे 12 ग्राम तक बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा, ‘2,4-D 58%’ का प्रयोग भी किया जा सकता है, खासकर गाजर घास जैसे मुश्किल खरपतवारों के लिए. गाजर घास को पूरी तरह खत्म करने के लिए 8 ग्राम सल्फ्यूरिक के साथ 300 मिलीलीटर 2,4-D मिलाकर स्प्रे करना सबसे अच्छा रहता है.
गेहूं की फसल से संकरी पत्ती वाले खरपतवारों को नष्ट करने के लिए किसान ‘क्लोडिनाफोप प्रोपरजिल 15%’ का इस्तेमाल कर सकते हैं, ये एक लोकप्रिय विकल्प है. जंगली जई पर इसके परिणाम बहुत अच्छे मिलते हैं. इसके अलावा, ‘पायरोक्सा सल्फोन 85%’ का प्रयोग बुवाई के समय या पहले पानी से दो दिन पहले किया जा सकता है, जो गुली डंडा पर बेहतरीन नियंत्रण प्रदान करता है.
खरपतवार नाशकों का इस्तेमाल करते समय कुछ विशेष सावधानियां रखनी चाहिए. हमेशा पहले पानी के तुरंत बाद गीले खेत में स्प्रे करना चाहिए, क्योंकि नमी होने पर ही दवा 100 फीसदी काम करती है. सूखे खेत में स्प्रे करने से परिणाम कम मिलते हैं. साथ ही खरपतवार जब छोटे हों तभी स्प्रे कर देना चाहिए, क्योंकि पौधे बड़े होने पर उन पर दवा का असर कम होता है और गेहूं की फसल की बढ़वार पर भी बुरा असर पड़ सकता है.