भारत के सबसे प्रीमियम क्वालिटी के सुगंधित चावल बासमती में कीटनाशक का अंश मिलने का मुद्दा गरमा गया है. अभी तक यह मुद्दा दूसरे देशों खासतौर पर यूरोपीय यूनियन में उठ रहा था, लेकिन अब घरेलू मोर्चे पर भी यह समस्या उठने और सामने आने लगी है, जो उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ा रही है. यहां के मशहूर ब्रांड 'इंडिया गेट' के रोजाना सुपर वैल्यू पैक (10% एक्स्ट्रा) में इसकी शिकायत मिलने के बाद कंपनी को एहतियातन बाजार से एक लाट का माल वापस मंगाना पड़ा है. फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने जांच के बाद कीटनाशक मिलने की कंपनी को सूचना दी, इसके बाद संबंधित बैच के चावल को रिकॉल करने की घोषणा की गई.
दरअसल, बासमती चावल निर्यातक केआरबीएल लिमिटेड के एक किलोग्राम पैक वाले 'इंडिया गेट प्योर बासमती राइस फीस्ट रोजाना सुपर वैल्यू पैक (10% एक्सट्र्रा)' में थियामेथोक्सम और आइसोप्रोथिओलेन की मात्रा उसके लिए तय अधिकतम अवशेष स्तर (MRL-Maximum Residue limit) से ज्यादा मिली थी, जो सेहत के लिए खतरनाक है. कंपनी के बैच नंबर B-2693 (CD-AB) (DC-SJ) (BL6) के तहत बाजार में भेजे गए चावल में यह दिक्कत सामने आई थी. इसके बाद कंपनी हरकत में आई और उसे पूरा माल बाजार से वापस मंगाना पड़ा.
बासमती चावल के जानेमाने वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा ने 'किसान तक' को बताया कि थियामेथोक्सम एक इंसेक्टिसाइटड है. इसका इस्तेमाल कीटों को मारने के लिए किया जाता है. किसान खासतौर पर इसका प्रयोग ब्राउन प्लांट हॉपर को खत्म करने के लिए करते हैं. भारत में इसका एमआरएल 0.02 पीपीएम (0.02 मिलीग्राम/किग्रा) तय है. इससे नीचे इसकी माप ही नहीं हो पाती.
जबकि आइसोप्रोथियोलेन एक फंगीसाइड है. इसे फंगल डिजीज को काबू करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, खासतौर पर ब्लास्ट रोग को रोकने के लिए. भारत में इसका एमआरएल 0.01 पीपीएम (0.01 मिलीग्राम/किग्रा) तय है. जरूरत से अधिक कीटनाशक मिलने के बाद अब जो माल वापस लिया गया है उसे अधिकारियों के सामने नष्ट किया जाएगा.
डॉ. शर्मा ने कहा कि धान कटाई से 20 दिन पहले खेत में कुछ न डालें. किसान कीटनाशकों का वेटिंग पीरियड देखें और उसी के हिसाब से उसका इस्तेमाल करें. अगर सही कीटनाशक, सही मात्रा में, सही समय पर और पानी की सही मात्रा के साथ इस्तेमाल करेंगे तो दिक्कत नहीं आएगी.
लेकिन अगर लापरवाही करेंगे तो इस तरह के केस सामने आएंगे और आखिरकार इसका लांग टर्म में नुकसान किसानों को ही होगा. उन्हें सही दाम नहीं मिलेगा. फसल में रोग लग रहा हो या कीट लग रहे हों तो पहले जुगाड़ से उसे खत्म करने की कोशिश करें. कीटनाशकों का इस्तेमाल अंतिम विकल्प की तरह करें. खाद, बीज और कीटनाशक बेचने वाले दुकानदारों के कहने पर किसी भी कीटनाशक का इस्तेमाल न करें.
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया की सूचना के बाद केआरबीएल लिमिटेड ने पूरा माल बाजार से रिकॉल किया. यह एक दिन का उत्पादन था, जिसमें दिक्कत आई थी. कंपनी ने मात्रा नहीं बताई लेकिन इतना जरूर कहा कि उसके कुल उत्पादन के 0.01% से भी कम माल में तय मात्र से अधिक कीटनाशक पाया गया था. वह भी सिर्फ घरेलू बाजार से संबंधित था. संबंधित बैच के माल को बाजार से वापस लेने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और उससे जुड़ी सूचना सरकारी अधिकारियों को साझा कर दी गई है.
यह जनवरी 2024 का लाट था और उसके उपयोग की तारीख दिसंबर 2025 तक थी. बाजार से वापस मंगाया गया स्टॉक एक ही बैच का था और एक ही दिन की पैकिंग थी. कंपनी ने कहा, हालांकि चावल एक कृषि उत्पाद है, इसलिए कीटनाशक नियंत्रण खेत स्तर पर ही होता है और एक इंडस्ट्री लीडर के रूप में हमने कीटनाशक मिलने के बाद तुरंत उसे वापस मंगाने का फैसला किया. केआरबीएल लिमिटेड ने कहा कि इस मुद्दे को अनाज, चावल, दाल आदि की पैकेजिंग करने वाली सभी कंपनियों के सामने आने वाली बड़ी चुनौती के संदर्भ में देखा जाना चाहिए.