सरकारी गेहूं खरीद एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने चालू रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान रिकॉर्ड गेहूं की खरीद की है. एफसीआई के अनुसार इस बार 266 लाख टन गेहूं खरीद की गई है, जो जो पिछले साल के खरीद आंकड़े से कहीं अधिक है. बताया गया कि विक्रेता किसानों को भुगतान के लिए डीबीटी का सहारा लिया गया, जिससे सीधे उनके खाते में पैसा पहुंचा है. किसानों को एफसीआई ने कई हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया है.
केंद्र की ओर से जारी सर्कुलर में बताया गया कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने चालू रबी मार्केटिंग सीजन 2024-25 के दौरान रिकॉर्ड 266 लाख टन की गेहूं खरीद आंकड़ा दर्ज किया है. यह खरीद आंकड़ा पिछले साल की खरीद संख्या से अधिक है. आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल एफसीआई ने 262 लाख टन की खरीद की थी. इस बार 4 लाख टन की अधिक खरीद हुई है.
अधिक गेहूं खरीद की वजह समय से पहले खरीद शुरू करने को बताया गया. इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार बयान में कहा गया कि इस साल अप्रैल की बजाय मार्च से ही गेहूं खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी. इससे 22 लाख किसानों को फायदा पहुंचा है. एफसीआई ने किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गेहूं खरीदा है. सरकार ने चालू सीजन अप्रैल-मार्च के लिए गेहूं के लिए 2,275 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी तय किया था. गेहूं के भुगतान के रूप किसानों को सीधे उनके बैंक खातों में डीबीटी के माध्य से ट्रांसफर किए गए हैं.
बयान में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों ने अपनी गेहूं खरीद में सुधार दर्ज किया है. उत्तर प्रदेश ने पिछले साल 2,20,000 टन की तुलना में 9,31,000 टन की गेहूं खरीद की है. जबकि, राजस्थान ने पिछले सीजन के 4.38 लाख टन से बढ़कर 12 लाख टन की गेहूं खरीद की है. इसी तरह अन्य राज्यों ने भी इस सीजन में गेहूं खरीद में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.
गेहूं के अलावा सरकारी खरीद के रूप में 2023-24 खरीफ मार्केटिंग सीजन दौरान धान की खरीद 775 लाख टन से अधिक हो गई, जिससे 1 करोड़ से अधिक किसानों को 1.74 लाख करोड़ रुपये से अधिक का पेमेंट किया गया है. धान की पर्याप्त खरीद ने भारत के चावल स्टॉक को 490 लाख टन से अधिक तक बढ़ा दिया है, जो बफर स्टॉक मानक और देश की लगभग 400 लाख टन की सालाना जरूरत से पार हो गया है.