जायद सीजन की फसलों की बुवाई का समय चल रहा है. इसमें किसान काले मक्के की खेती कर सकते हैं. दरअसल, बदलते मौसम के इस दौर में मक्के की खेती का महत्व काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है. इस फसल की खासियत यह है कि इसे महज 3 महीने में तैयार किया जा सकता है और कमाई भी होती है. वहीं, इसका उत्पादन भी अन्य फसलों से अधिक होता है. यही कारण है कि किसान इस मक्के को उगाना पसंद करते हैं. माना जाता है कि काला मक्का कुपोषण से भी लड़ने में फायदेमंद होता है.
मक्के की इस वैरायटी से किसानों को भरपूर फायदा भी मिलता है. दरअसल देश में पहली बार छिंदवाड़ा के कृषि अनुसंधान केंद्र में काला यानी रंगीन मक्के पर रिसर्च किया गया है. इस मक्के की खास बात यह है कि इसमें भरपूर मात्रा में जिंक, कॉपर और आयरन है. ऐसे में आइए जानते हैं कि कैसे करें काले मक्के की खेती.
सालों से उगाई जा रही देशी मक्का किस्मों पर शोध करके कृषि वैज्ञानिकों ने मक्का की एक नई प्रजाति जवाहर मक्का 1014 विकसित की है. मक्के की इस प्रजाति में आयरन, कॉपर और जिंक की मात्रा अधिक है, जो कुपोषण से लड़ने में कारगर साबित होगी. इसका उपयोग स्वास्थ्यवर्धक उत्पादों में किया जा सकता है. कृषि अनुसंधान केंद्र में विकसित मक्का की यह पहली किस्म है जो न्यूट्रीरिच या बायो फोर्टिफाइड है. वहीं आमतौर पर मक्का के दानों का रंग पीला होता है, लेकिन इस नई प्रजाति का रंग लाल, काला कत्थई है.
ये भी पढ़ें:- इन 5 तरह के किसानों को नहीं मिलेगी PM Kisan Yojana की 17वीं किश्त, कब जारी होगा पैसा जान लें
काले मक्के कि यह नई किस्म 95-97 दिन में तैयार हो जाती है. वहीं बात करें इसकी उपज क्षमता की तो किसान प्रति एकड़ में 8 किलो बीज लगाकर 26 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं. इसकी सिल्क 50 दिन में आती है. यह प्रजाति तना छेदक के प्रति सहनशील है. इसके अलावा वर्षा आधारित क्षेत्र खासकर पठारी क्षेत्रों के लिए यह बेहद उपयुक्त है. किसान अगर इस किस्म की खेती करना चाहते हैं तो इसकी खेती कतार में की जाती है. वहीं कतार से कतार की दूरी 60 से 75 सेमी होनी चाहिए.
किसानों को अक्सर चिंता होती है कि अगर कोई नई प्रजाति है तो बाजार भाव कैसा होगा और उत्पादन प्रभावित तो नहीं होगा. ऐसे में स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी इस मक्के का बाजार भाव सामान्य मक्के की तुलना में ज्यादा होगा. सबसे खास बात यह है कि इसकी उपज में कोई फर्क नहीं आएगा. पीले मक्के की तरह ही इसकी पैदावार भी अधिक होगी.