कृषि विश्वविद्यालय सबौर भागलपुर द्वारा विकसित किए गए सबौर संपन्न धान को अब किसान अपनाने लगे हैं. कृषि विज्ञान केंद्र, हलसी ने बीज को मौसम अनुकूल फसल में शामिल कर साल 2013-14 से रिसर्च शुरू की थी. कृषि विज्ञान केंद्र हलसी ने सबौर संपन्न धान पर कई संस्थानों के माध्यम से शोध कराया. बाद में साल 2022 में सबौर संपन्न किस्म को जारी किया गया और अब जिले में सबौर संपन्न धान की खेती की शुरूआत भी हो चुकी है.
2014 से ही सबौर संपन्न धान की फसल पर रिसर्च और सर्वे शुरू हुए थे, जिनमें यह किसानों के लिए बहुत फायदेमंद माना गया. धान के बीज जारी होने के बाद किसानों के बीच इसे जारी किया गया है. प्रभात खबर की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में किसानों ने जब सबौर संपन्न धान की खेती की तो उन्हें बंपर पैदावार हासिल हुई.
एक एकड़ में किसानों को 80 मन धान की उपज हासिल हुई. सबौर संपन्न धान की फसल में कीट जैसी बीमारी नहीं लगती है. वहीं कम या अधिक पानी में धान की पैदावार पर कोई असर नहीं पड़ता. सबसे रोचक बात यह है कि यह हाइब्रिड नहीं, बल्कि देशला धान है. इसके चावल साफ-सुथरे और खाने में स्वादिष्ट होते हैं.
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केवीके हलसी में अब 122 मन प्रति एकड़ पैदावार वाली धान की 'सबौर मंसूरी' किस्म पर ध्यान दिया जा रहा है. कृषि विश्वविद्यालय से जारी किए जाने के बाद केवीके इस पर रिसर्च करा रहा है. केवीके ने शोध में यह पाया है कि सबौर मंसूरी एक अच्छे मानक की धान है. इस धान की उपज 122 मन प्रति एकड़ है. यहां से रिलीज होने के बाद सबौर मंसूरी धान को किसानों के बीच जारी किया जाएगा. वहीं, किसानों को धान की इस फसल की खेती के लिए ट्रेनिंग भी दी जाएगी.
कृषि वैज्ञानिक सुधीर चंद्र कुमार ने कहा कि धान में सबौर मंसूरी की गुणवत्ता अच्छी है. इस धान की फसल में अन्य धान फसलों के मुकाबले काफी ज्यादा पैदावार होगी. हालांकि, अभी सबौर मंसूरी धान जारी नहीं किया गया है. जारी किए जाने के बाद इसे किसानों के लिए रिलीज किया जाएगा. सबौर संपन्न धान साल 2022 में ही जारी कर दी गई थी. यहां के किसानों ने 2022 से ही सबौर संपन्न धान की खेती की शुरूआत कर दी है. सबसे पहले हलसी ब्लॉक, हलसी पंचायत और सूर्यगढ़ा ब्लॉक, रामपुर पंचायत और रामगढ़ चौक प्रखंड सिसमा गांव सहित अन्य गांवों में इसकी खेती शुरू की गई थी.