देश में चुनावी सरगर्मी चरम पर है और सभी दलों के नेता अपने- अपने प्रत्याशियों को जीताने के लिए जबरदस्त प्रचार कर रहे हैं. इस मामले में पंजाब भी पीछे नहीं है. यहां के लुधियाना में भी नेताओं का प्रचार अभियान जारी है. इससे प्रदेश में फूलों की मांग कई गुना बढ़ गई है और उनके रेट आसमान पर पहुंच गए हैं. मालाओं और खुले फूलों खासकर गेंदा और गुलाब की मांग दोगुनी हो गई है. ऐसे प्रदेश में फूल ज्यादातर उत्तर प्रदेश के बरेली से लाए जाते हैं.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा गेंदे के फूल की मांग बढ़ गई है, क्योंकि राजनीतिक कार्यक्रमों में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है. पहले जहां शहर में 12-15 क्विंटल फूल आते थे, वहीं अब 22-25 क्विंटल फूल आ रहे हैं. बठिंडा, मलेरकोटला, फिल्लौर और फगवाड़ा जैसे आसपास के शहरों में भी लुधियाना से फूलों की आपूर्ति की जाती है. लुधियाना के सबसे बड़े फूल बाजार माने जाने वाले जगराओं पुल के पास फूल विक्रेता पंडित ने कहा कि फूलों की मांग बढ़ गई है और स्थानीय फूल अब उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए वे अब बरेली से फूल मंगवा रहे हैं. इससे कीमतें दोगुनी हो गई हैं.
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पंडित ने कहा कि पहले गेंदा 40 रुपये प्रति किलो बिकता था जो अब 70 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. नेताओं के लिए शहर के तमाम हिस्सों से उन्हें हर दिन सैकड़ों की संख्या में मालाओं के ऑर्डर मिल रहे हैं. गुलाब की पंखुड़ियों की भी काफी मांग है. जिस माला की कीमत सिर्फ 10 रुपये होती थी, वह अब कम से कम 20-25 रुपये में बिक रही है. इसके अलावा, उसी बाजार के एक अन्य फूल विक्रेता ने कहा कि न केवल फूल और माला बल्कि गुलदस्ते की बिक्री भी बढ़ गई है.
उन्होंने कहा कि पहले एक गुलदस्ते की न्यूनतम कीमत 300 रुपये थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया गया है. नेताओं का स्वागत गुलदस्ते और मालाओं से करने की परंपरा है, जिससे फूलों की मांग बढ़ गई है. लुधियाना के एक अन्य फूल विक्रेता प्रकाश ने कहा कि जैसे-जैसे प्रचार अभियान आक्रामक होता जा रहा है, वैसे-वैसे फूलों की मांग भी बढ़ती जा रही है. गुलाब की पंखुड़ियां जो पहले 100 रुपये प्रति किलो बिकती थीं, अब उपलब्धता के आधार पर 150-200 रुपये में बिक रही हैं. वहीं, कुछ राजनीतिक नेताओं को गुलाब की माला पसंद है.
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एक राजनीतिक दल के एक समर्थक ने कहा कि वह हर दिन लगभग 10 किलो फूल और 50-100 मालाओं का ऑर्डर दे रहे हैं, क्योंकि नेता जहां भी जाते हैं उनका स्वागत करने के लिए इनका उपयोग किया जाता है. जैसे-जैसे मतदान का दिन नजदीक आ रहा है, प्रचार में तेजी आ रही है और मांग भी बढ़ती जा रही है.