Sugarcane farming: यूपी में गन्ने की इन किस्मों पर प्रतिबंध, करेंगे खेती तो होगी कार्रवाई...वजह जानें

Sugarcane farming: यूपी में गन्ने की इन किस्मों पर प्रतिबंध, करेंगे खेती तो होगी कार्रवाई...वजह जानें

उत्तर प्रदेश में जिस तरह से गन्ने में लाल सड़न रोग गन्ने की फसल को भारी नुकसान पहुंचा रहा है. उसे देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों और गन्ना विकास विभाग ने काफी अध्ययन के बाद गन्ना की कुछ किस्में प्रतिबंधित कर दी हैं. भविष्य में किसानों को गन्ने में इस रोग से बचने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं जिससे गन्ना खेती से बेहतर लाभ मिल सके.

यूपी में गन्ने की कुछ किस्मों को प्रतिबंधित किया गया हैयूपी में गन्ने की कुछ किस्मों को प्रतिबंधित किया गया है
जेपी स‍िंह
  • New Delhi,
  • Sep 14, 2023,
  • Updated Sep 14, 2023, 12:57 PM IST

उत्तर प्रदेश की नकदी फसल गन्ना की खेती से किसानों को बेहतर लाभ कैसे मिले, इसके लिए भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान और उप्र गन्ना शोध परिषद शाहजहांपुर के गन्ना विकास विभाग ने किसानों को सुझाव दिया है. गन्ना में लाल सड़न रोग जिस तरह से राज्य में गन्ने की फसल को भारी नुकसान पहुंचा रही है, उसे देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों और गन्ना विकास विभाग ने काफी अध्ययन करने के बाद किसानों को भविष्य में गन्ने की खेती में इस बीमारी से बचने का सुझाव दिया है.

दूसरी ओर गन्ना किस्मों का बढ़ता अंसुतलन, गन्ना की खेती में बढ़ता लागत मूल्य, मिट्टी की उर्वरकता, कीट-रोग की समस्या आदि गन्ना किसानों के सामने प्रमुख समस्याएं हैं. उसको कैसे निदान किया जाए, इस पर लखनऊ में 12 तारीख को विचार किया गया. इसमें बातें हुईं कि गन्ने की औसत उपज बढ़े और किसानों को गन्ने की खेती से ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके. गन्ना आयुक्त, गन्ना और चीनी उप्र पी.एन. सिंह की अध्यक्षता में प्रदेश के गन्ने की औसत उपज बढ़ाए जाने और गन्ना किस्मों के संतुलन के लिए विकास कार्यक्रमों को लागू करने पर चर्चा हुई. इसमें किसानों और गन्ने से जुड़े लोगों को सुझाव दिया गया जिससे गन्ने की खेती से बेहतर लाभ लिया जा सके.

ये गन्ना की किस्में हुईं प्रतिबंधित

गन्ना किसानों के लिए इस समय सबसे बड़ी परेशानी गन्ने का लाल सड़न रोग है. इससे छुटकारा पाने के लिए गन्ने की कुछ किस्मों को बैन किया गया है. इन किस्मों की खेती रोक दी गई है. ये किस्में लाल सड़न रोग फैलाने हैं. ये किस्में हैं 11015, कोपीबी 95 जिन्हें बैन किया गया है. इन किस्मों को राज्य में बुआई नहीं करने का सुझाव दिया गया है. अनधिकृत रूप से इसको बढ़ावा देने वाले लोगों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की गई है. किसी बाहरी गन्ना किस्म का संवर्धन नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं. इसलिए नियम का उल्लंघन करने वालों पर कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए गए हैं.

ये भी पढ़ें: Sugarcane price: यूपी में किसानों को जल्द मिलने वाला है बड़ा तोहफा, गन्ने का समर्थन मूल्य में इजाफे की तैयारी

गन्ना की खेती में भारी नुकसान

कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बैठक में अवगत कराया गया कि राज्य में लाल सड़न रोग का प्रमुख स्ट्रेन सी. एफ. 13 है जो राज्य में 0238 गन्ना किस्म को भयंकर रूप से प्रभावित कर रहा है. इसका मुख्य कारण है कि गन्ने की किस्म CO -11015 से राज्य अभी भी पूरी तह से मुक्त नहीं है. अगर इन किस्मों की खेती हो रही है तो 0238 गन्ना किस्म से भी भयंकर परिणाम हो सकते हैं. लाल सड़न रोग का प्रसार तेजी से हो सकता है, जो राज्य के चीनी और गन्ना उत्पादन के स्थायित्व को प्रभावित करेगा.

फायदे के लिए करें ये जरूरी काम

जो किसान गन्ना की CO-238 किस्म की लगातार खेती कर रहे हैं, उसकी जगह दूसरी गन्ना की नई किस्मों का चयन करें. इसके अलावा गन्ना की खेती में गहरी जुताई, पेड़ी प्रबंधन के लिए कटाई के तुरंत बाद रेटून मैनेजमेन्ट डिवाइस (आर एम.डी.) का उपयोग, ट्रेंच प्लांटर से वाइड से स्पेसिंग जैसी तकनीक से गन्ना बुआई करें. कृषि वैज्ञानिकों ने कहा गन्ना की खेती से बेहतर लाभ के लिए ड्रिप इरीगेशन अथवा फैरो इरीगेशन द्वारा गन्ने की फसल की सिंचाई करें जिससे गन्ने की फसल में पानी की बचत हो सके. मृदा कार्बन का स्तर बढ़ाने के लिए  ग्रीन मैन्योरिंग और गन्ने की बधाई को जरूरी बताया गया है. गन्ना किस्मों में संतुलन बनाए रखने के लिए किसान एक किस्म के स्थान पर गन्ना की चार से पांच किस्मों की बुवाई करें जिससे गन्ना की खेती में किस्मों का संतुलन  बनाया जा सके.

सिंगल बड चिप से लागत कम

गन्ना की खेती में लागत कम करने के लिए गन्ना के सिंगल बड से तैयार पौध से गन्ने की बुआई करने के लिए सलाह दी गई है. अधिकतर किसान तीन आंख या दो आंख वाले गन्ने का बीज बोते हैं. इस तकनीक से एक एकड़ खेत के लिए 25 से 30 क्विंटल गन्ने के बीज की जरूरत होती है जबकि बड चिप विधि में एक एकड़ खेत में 80 से 100 किलोग्राम गन्ने के बीज की जरूरत होती है.

बड चिप तकनीक से गन्ने की खेती करते हैं. इससे गन्ने की देर से बुआई की समस्या भी दूर होगी और लागत भी बचेगी. साथ ही गन्ने की पैदावार भी अधिक होगी जिससे किसानों को गन्ने की खेती से अधिक लाभ मिलेगा. उत्तर प्रदेश, गन्ना विकास विभाग, यूपी के 36 गन्ना समृद्ध जिलों में स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं. इन समूहों द्वारा बड चिप तकनीक का उपयोग कर गन्ने की नर्सरी के पौधे तैयार किए जाते हैं. इस क्षेत्र के किसान इन समूहों से गन्ने की नर्सरी के पौधे खरीदकर अपने खेतों में लगाते हैं क्योंकि इससे गन्ना किसानों को गेहूं और धान की कटाई के बाद सीधे खेत में गन्ना बोने की तुलना में लागत बचाने और बेहतर उपज प्राप्त करने में मदद मिलती है.

ये भी पढ़ें: Farmers Protest: मुजफ्फरनगर के गन्ना किसानों का 220 करोड़ रुपया बकाया, राकेश टिकैत ने दी ये बड़ी चेतावनी

गन्ने के साथ करें सहफसली खेती

दरअसल गन्ने में देर से गन्ना मूल्य मिलने से आने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए इंटरक्रॉपिग फसलों की खेती किसानों के लिए मददगार होती है. इससे प्रति एकड़ इनकम में बढ़ोतरी होती है. किसान गन्ने के साथ एक सहफसली खेती कर सकते हैं, जिससे गन्ना तैयार होने में लगने वाले समय के बीच अच्छी आमदनी होगी. वही गन्ने में इंटरक्रॉपिग फसलों की खेती किसानों को देर से गन्ना मूल्य मिलने से आने वाली समस्याओं को दूर करने में मददगार होगी. इससे प्रति एकड़ इनकम में बढ़ोतरी होगी.


 

MORE NEWS

Read more!