गर्मियों में गले को तर करना हो या सलाद को टेस्टी बनाना हो, उसमें ककड़ी को सबसे सही चीज माना जाता है. किसान सीजन के हिसाब से इसकी खेती करके अच्छी उपज पा सकते हैं. इसका उत्पादन किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकता है. इसकी कुछ किस्में हैं जिन्हें उगाकर आप कम समय और कम लागत में मोटा मुनाफा कमा सकते हैं. ककड़ी की खेती किसान नकदी फसल के रूप में करते हैं. वहीं, देश में लगभग सभी राज्यों में इसकी खेती की जाती है.
ककड़ी को जायद की फसल के साथ उगाया जाता है. इसके फल एक फीट तक लंबे होते हैं. दरअसल, ककड़ी की खेती यदि सही समय पर सही मिट्टी में की जाए तो इससे किसानों को अच्छी आमदनी भी हो सकती है, क्योंकि ककड़ी की डिमांड गर्मी के दिनों में काफी बढ़ जाती है. ऐसे में किसान इस महीने ककड़ी की खेती करके बेहतर कमाई कर सकते हैं.
अगर आप किसान हैं और फरवरी महीने में किसी फसल की खेती करना चाहते हैं, तो आप ककड़ी की कुछ उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं.गर्मी के मौसम में मिलने वाली ककड़ी की खेती के लिए फरवरी का महीना उपयुक्त माना जाता है. ऐसे में आप थार शीतल, दुर्गापुरी, अर्का शीतल उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं. वहीं इन किस्मों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
ये भी पढ़ें:- फरवरी में करें इन 3 सब्जियों की खेती, बेहतर पैदावार के लिए इन बातों का भी रखें ध्यान
इस किस्म में किसी तरह की कड़वाहट नहीं होती है, जैसा कि आम खीरा-ककड़ी में देखा जाता है. किसान इसे वसंत, गर्मी और खरीफ सीजन में बो सकते हैं. इसकी खेती ऑफ सीजन में भी की जा सकती है. इसके लिए कम गहरी क्यारियां बनाकर ऑफ सीजन में खेती कर सकते हैं. इस किस्म से किसान 150-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उपज ले सकते हैं.
ये ककड़ी की एक खास किस्म है. इस किस्म की ककड़ी हल्की पीली और एक फीट तब लंबी होती है. ये बुवाई के करीब 60 से 70 दिनों बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. इसकी खेती से प्रति हेक्टेयर 200 क्विंटल से अधिक पैदावार ली जा सकती है.
ये ककड़ी की एक लोकल किस्म है. इसके फल हल्के पीले होते हैं जिन पर धारियां होती है. यह किस्म हर जगह आसानी से उगाई जा सकती है. ये बुवाई करने के करीब 80 से 90 दिनों बाद तैयार हो जाती है. इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 190 से 200 क्विंटल से अधिक पैदावार ली जा सकती है. बता दें कि इस किस्म में रोग लगने का खतरा कम रहता है.
यदि आप ककड़ी की खेती करना चाहते हैं तो इसके लिए बलुई दोमट मिट्टी बेहतर मानी जाती है. ककड़ी की खेती करने के लिए जमीन जल निकासी वाली होनी बेहद जरूरी है. वहीं, खेती से सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करें. इसके बाद उसमें 12 से 15 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद को प्रति हेक्टेयर के हिसाब डालें. फिर जब खेत तैयार हो जाए तो बीज की बुवाई करनी चाहिए.