इस साल बढ़ सकते हैं कपास के दाम, मूंगफली जैसी तिलहन फसल बनेगी वजह

इस साल बढ़ सकते हैं कपास के दाम, मूंगफली जैसी तिलहन फसल बनेगी वजह

इस साल कपास 22.34 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोए जाने के साथ सबसे बड़ी फसल बनी हुई है, लेकिन ऐसा लगता है कि गुजरात में कुछ किसानों की रुचि इसमें कम हो रही है. इसलिए इसके कुल क्षेत्रफल में थोड़ी गिरावट आई है. ऐसे में इस साल कपास के दाम में बढ़ोतरी हो सकती है. गुजरात कपास उत्पादन में बड़ा स्थान रखता है.

बढ़ सकते हैं कपास के दामबढ़ सकते हैं कपास के दाम
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 24, 2024,
  • Updated Jul 24, 2024, 1:01 PM IST

कपास की कीमतों में पिछले साल भारी गिरावट देखने को मिली थी. जिसके बाद किसान कपास की खेती से बच रहे हैं. लेकिन इस साल कपास के दाम में बढ़ोतरी हो सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस साल किसान खरीफ सीजन में कपास की फसल की खेती करने के बजाय मूंगफली और तिलहन फसलों की खेती की ओर तेजी से रुख कर रहे हैं. ‘दि इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक, गुजरात में मूंगफली की बुवाई का ग्राफ पिछले दो वर्षों में काफी तेजी से बढ़ा है. गुजरात में खरीफ की बुवाई के रुझान से पता चल रहा है कि किसान इस तिलहन फसलों की बुवाई अधिक कर रहे हैं, जबकि कपास की बुवाई का रकबा कम हो रहा है. गुजरात कपास बुवाई में बड़ा स्थान रखता है. ऐसे में गुजरात में रकबे में गिरावट कपास की सप्लाई पर असर डाल सकती है जिससे आने वाले समय में कपास के दाम बढ़ सकते हैं.

मूंगफली की खेती में बढ़ोतरी

गुजरात कृषि निदेशालय की ओर से जारी नए बुवाई आंकड़ों के अनुसार, 22 जुलाई तक किसानों ने 18.28 लाख हेक्टेयर में मूंगफली की बुवाई पूरी कर ली है. यह आंकड़ा 2023 खरीफ बुवाई सीजन के अंत में दर्ज किए गए 16.35 लाख हेक्टेयर मूंगफली बुवाई क्षेत्र की तुलना में लगभग दो लाख हेक्टेयर अधिक है, जबकि बुवाई सीजन में कम से कम कुछ और सप्ताह अभी बचा हुआ है. वहीं आपको बता दें कि गुजरात में खरीफ मूंगफली की खेती जून-जुलाई में होती है और अक्टूबर-नवंबर में इसे काटा जाता है.

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कपास के रकबे में गिरावट 

हालांकि इस साल कपास 22.34 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोई गई फसल के साथ सबसे बड़ी फसल बनी हुई है, लेकिन ऐसा लगता है कि कुछ किसानों की रुचि इसमें कम हो रही है. इसलिए इसके कुल क्षेत्रफल में थोड़ी गिरावट आई है. 2023 खरीफ सीजन की इसी अवधि के दौरान किसानों ने 26.24 लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई की थी. वहीं, वर्तमान बुवाई का आंकड़ा 22.34 लाख हेक्टेयर है जो पिछले तीन वर्षों के औसत कपास बुवाई क्षेत्र 24.95 लाख हेक्टेयर का 89.54 प्रतिशत है.

ये है दाम बढ़ने की वजह 

कपास और मूंगफली गुजरात की मुख्य खरीफ फसलें हैं. गुजरात इन दोनों फसलों का सबसे बड़ा उत्पादक है. गुजरात के सौराष्ट्र के 11 जिलों में इन दोनों फसलों की बुवाई बड़े पैमाने पर होती है. इस साल मूंगफली की बुवाई में ज़्यादा उछाल और कपास के रकबे में गिरावट दर्ज की गई है. ऐसे में मूंगफली की बढ़ती खेती और कपास की कम हुई बुवाई को देखते हुए ये कयास लगाए जा रहे हैं कि इस साल कपास के दाम में बढ़ोतरी हो सकती है.

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