देश के दूसरे सबसे बड़े कपास उत्पादक महाराष्ट्र में कॉटन का दाम बढ़ने लगा है. राज्य की अधिकांश मंडियों में दाम 7000 रुपये के पार चला गया है, जो इसके लिए तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ज्यादा है. महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि वर्धा जिले की हिंगणघाट मंडी में कपास का अधिकतम दाम 7600 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है. साधारण कॉटन का एमएसपी 7020 रुपये जबकि मध्यम रेशे वाले की एमएमपी 6620 रुपये क्विंटल है. अधिकांश मंडियों में औसत और अधिकतम दाम एमएसपी से ऊपर चल रहा है, जबकि न्यूनतम दाम एमएसपी से कम है. किसानों को उम्मीद है कि कम उत्पादन के अनुमानों की वजह से इस बार रेट बढ़ सकता है. इसका रुझान बाजार में दिखाई दे रहा है.
कम उत्पादन अनुमान और बाजार के रुख को देखते हुए कुछ किसान कपास को स्टोर कर रहे हैं. पिछले साल के मुकाबले इस साल कपास का उत्पादन 20.36 लाख गांठ (प्रति गांठ में 170 किलोग्राम) घटने का अनुमान है. इसलिए किसान दाम बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं. केंद्र सरकार के अनुसार वर्ष 2023-24 में कॉटन का उत्पादन 323.11 लाख गांठ है, जबकि 2022-23 में यह 343.47 लाख गांठ था.
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उधर, कुछ बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय कारणों से कपास की कीमतों को लेकर इस साल काफी उथल-पुथल रह सकती है. भारत में भले ही कम उत्पादन का अनुमान हो, लेकिन ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील जैसे देशों में बेहतर फसल की संभावना जताई गई है. इस बीच न्यूयॉर्क स्थित इंटरकॉन्टिनेंटल एक्सचेंज में कपास के वायदा कारोबार और वैश्विक मांग में नरमी को देखते हुए भारतीय बाजार में मल्टीनेशनल कंपनियों ने अपना माल बेचना शुरू कर दिया है. इन कंपनियों द्वारा बेचे जाने वाले कपास को व्यापारियों और मिलों द्वारा खरीदा जा रहा है. जिससे भारतीय किसानों को मिलने वाले दाम पर असर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया सकता.
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