महाराष्ट्र में कपास की खेती करने वाले किसानों को राहत मिलती नज़र नहीं आ रही हैं. आरोप है कि कपास की कीमत कम रहने की वजह से किसान घाटा झेल रहे हैं. राज्य की कई मंडियों में किसान पिछले दो-तीन साल के मुकाबले कम भाव में कॉटन बेचने पर मजबूर हैं. हालांकि, कुछ मंडियों में दाम एमएसपी से ज्यादा है. अमरावती मंडी में लोकल कॉटन का अधिकतम दाम 7350 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है. यहां 26 मार्च को सिर्फ 70 क्विंटल कॉटन की आवक हुई इसके बावजूद न्यूनतम दाम 6800 और औसत दाम 7075 रुपये क्विंटल रहा. हालांकि, औरंगाबाद जिले में स्थित फुलम्ब्री मंडी में दाम 8200 रुपये तक पहुंच गया है, जो एमएसपी से ज्यादा है.
वहीं वरोरा मंडी 434 क्विंटल कपास की आवक हुई. यहां 6000 रुपये क्विंटल न्यूनतम दाम रहा, अधिकतम दाम 7600 और औसत दाम 7000 रुपये क्विंटल रहा. फुलम्ब्री मंडी में कपास की आवक 200 क्विंटल रही और दाम बढ़कर न्यूनतम 8200 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया. हालांकि राज्य की ज्यादातर मंडियों में कॉटन का दाम एमएसपी से नीचे ही मिल रहा है, इसके चलते किसान परेशान हैं .
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केंद्र सरकार के अनुसार वर्ष 2023-24 में कॉटन का उत्पादन 323.11 लाख गांठ है, जो पिछले साल से कम है. पिछले साल मतलब वर्ष 2022-23 के तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक कॉटन का उत्पादन 343.47 लाख गांठ था. एक गांठ 170 किलोग्राम की होती है. बताया गया है कि पिछले सप्ताह कॉटन के उत्पादन में कमी का अनुमान आने के बाद ही दाम में मामूली सुधार दिख रहा है. इसी वजह से किसानों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में दाम बढ़ सकता है.
केंद्र सरकार ने लंबे रेशे वाले कॉटन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 7020 रुपये जबकि मध्यम रेशे वाले की एमएमपी 6620 रुपये क्विंटल तय की हुई है. लेकिन कुछ दिनों से दाम कम मिल रहा था. जब यह पता चला कि इस साल उत्पादन कम हो गया है तब दाम बढ़ना शुरू हुआ. महाराष्ट्र देश का प्रमुख कॉटन उत्पादक प्रदेश है, इसलिए यहां के किसानों को इसका दाम बढ़ने का बेसब्री से इंतजार है.
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